शोध के मुताबिक, बच्चों की तुलना में वयस्क घरों में कोरोना वायरस के संचरण का कारण हैं. सीडीसी के नए शोध में इस साल अप्रैल में नैशविले, टेनेसी, और मार्शफील्ड, विस्कॉन्सिन में लैब-कन्फर्म कोरोना वायरस संक्रमण के शुरुआती रोगी और इंडेक्स रोगी दोनों शामिल हैं.
दोनों इंडेक्स रोगियों और उनके घर के सदस्यों में लक्षणों को जानने के लिए दूरस्थ रूप से प्रशिक्षित किया गया था और स्व-एकत्रित नमूने प्राप्त करने को कहा जिसमें 14 दिनों में नाक के स्वाब के साथ लार के नमूने भी शामिल थे.
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191 घरेलू लोगों के जरिए हुआ अध्ययन
नामांकित 191 घरेलू संपर्कों में से 101 इंडेक्स रोगियों ने पहले दिन कोई लक्षण नहीं होने की सूचना दी. आगे के दिनों में (53 प्रतिशत की द्वितीयक संक्रमण की दर) 191 में से 102 लोगों में कोरोना पॉजिटिव पाए गए. जब सूचकांक रोगी 18 से अधिक उम्र के थे तब द्वितीयक संक्रमण दर 57 प्रतिशत थी जो कि इंडेक्स रोगियों के 18 से कम उम्र के होने पर 43 फीसदी हो गई.
बच्चों की तुलना में वयस्क हुए कोरोना पॉजिटिव
कुल मिलाकर इंडेक्स में बच्चों की तुलना में अधिक वयस्क कोरोना वायरस की चपेट में आए. इसमें 20 बच्चे तो 82 वयस्क शामिल हैं. 40 फीसदी इंडेक्स रोगियों ने बताया कि बीमारी शुरू होने से पहले वे एक की रूम में एक या उसके अधिक सदस्यों के साथ रहे और सोए और बीमारी के बाद 30 फीसदी ने यह बात कबूली.
स्टडी में सामने आई ये जरूरी बात
अध्ययन में एक और महत्वपूर्ण बात यह पता चली है कि आधे से भी कम घर के सदस्यों में संक्रमण के लक्षणों का रिपोर्ट के समय पर पता चला था और कई लोगों ने सात दिनों के दौरान कोई लक्षण न होने की बात कही जो स्पर्शोन्मुख माध्यमिक संपर्कों के लिए संचरण की क्षमता को रेखांकित करता है. वहीं, विदेशों में किए गए अन्य अध्ययनों में कई बार घरेलू संक्रमण दर कम पाई गई है.
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आइसोलेशन बहुत जरूरी
सीडीसी ने कहा कि यह हो सकता है क्योंकि उन अध्ययनों में पर्याप्त अनुसरण नहीं किया गया होगा और क्योंकि वे मरीज आइसोलेशन की प्रक्रिया में रहें होंगे या फिर हो सकता है उन्होंने मास्क का इस्तेमाल किया हो. सीडीसी ने सिफारिश की है कि जिन लोगों को खुद को कोविड-19 से संक्रमित होने आशंका हो तो उन्हें खुद को अपने घर के सदस्यों से अलग कर लेना चाहिए. घरवालों और खुद की सुरक्षा के लिहाज से वे अलग सोएं, अलग बाथरूम का इस्तेमाल करें और साथ ही मास्क लगाना न भूलें.