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हिंदी माध्यम के विकास कैसे बनें IAS ऑफिसर- जानें- Amar Bharti Media Group शिक्षा

हिंदी माध्यम के विकास कैसे बनें IAS ऑफिसर- जानें

राजस्थान के एक छोटे से गांव महवा के विकास का जन्म और शुरुआती पढ़ाई-लिखाई यहीं से हुई. उनके पिताजी को हमेशा से चाह थी कि उनके बच्चे यानी विकास और उनके भाई सिविल सेवा के क्षेत्र में जाएं. हालांकि गांव के माहौल में विकास को कभी वो सुविधाएं नहीं मिली कि वे कुछ खास कर पाएं पर सीमित संसाधनों के बीच उन्होंने हमेशा अपना बेस्ट देने का प्रयास किया.

स्कूल की पढ़ाई के बाद वे ग्रेजुएशन करने जयपुर गए. इसी के बाद उन्हें और उनके भाई को दिल्ली भेज दिया गया जहां रहकर वे यूपीएससी की तैयारी कर सकें. साल 2017 में जब उनका चयन हुआ तो अंततः उनके सपने को मंजिल मिली. दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू में विकास ने प्री परीक्षा से संबंधित कुछ डूज और डोंट्स शेयर किए, जानते हैं विस्तार से.

हिंदी माध्यम को लेकर थे डरे हुए

विकास कहते हैं कि जब वे तैयारी के लिए दिल्ली आए उस समय हिंदी माध्यम वालों का यूपीएससी में प्रदर्शन बहुत खराब जा रहा था और वे भी हिंदी मीडियम के ही थे. हालांकि उन्होंने इस बात को दिमाग से निकाला और तैयारी में जुट गए. रिजल्ट के बारे में सोचने के बजाय उन्होंने कड़ी मेहनत पर फोकस किया. वे कहते हैं कि जहां वे और उनके भाई रूम लेकर रह रहे थे वहां उन जैसे लाखों स्टूडेंट्स थे.

उनमें से कुछ तो इतने काबिल और समझदार थे कि लगता था कि इनके बीच तो हम कहीं स्टैंड ही नहीं करते. हालांकि इस समय में विकास और उनके भाई एक दूसरे का संबल बने और एक-दूसरे को हर निगेटिव बात से बचाकर हमेशा पॉजिटिव सोच रखने की कोशिश करते रहे. हिंदी माध्यम का डर भी ऐसे ही बाहर निकला.

 डर से बाहर निकलें

प्री परीक्षा की तैयारी के बारे में विकास कहते हैं कि कई बार ऐसा होता है कि परीक्षा के कुछ दिन पहले स्टूडेंट्स को लगने लगता है कि हमें तो कुछ आता ही नहीं और वे एकदम ब्लैंक महसूस करने लगते हैं. दरअसल तैयारी के दौरान उन्होंने इतना कुछ पढ़ा होता है कि वे एंड में यह फील करते हैं कि सब पढ़ा हुआ बेकार हो गया और हम परीक्षा में बिलकुल अच्छा परफॉर्म नहीं कर पाएंगे.

वे कहते हैं ऐसा कई लोगों के साथ होता है इससे घबराएं नहीं और अपने डर को बाहर निकालकर कांफिडेंस को वापस लाएं वरना आप आती हुई चीजें भी गलत कर आएंगे. इसके अलावा पेपर के एक दिन पहले ठीक से नींद लें. हॉल में फ्रेश माइंड के साथ पहुंचना बहुत जरूरी है.

पेपर को एज्यूम करके न जाएं

विकास आगे कहते हैं कि कभी भी पेपर के बारे में पहले से कोई अंदाजा लगाकर माइंड-मेकअप करके न जाएं. स्थिति को देखते हुए रिएक्ट करें. हो सकता है आप सोचकर जाएं कि इतने प्रश्न करने ही हैं पर पेपर कठिन हो और आप उतने प्रश्न अटेम्पट न कर पाएं या अगर किए तो निगेटिव मार्किंग से फायदे की जगह नुकसान में रहेंगे.