कोरोना वायरस की नई किस्म पर मंथन
कोरोना वायरस का हाल ही में उजागर हुआ मामला ज्यादा संक्रामक और तेजी से फैलनेवाला है. ब्रिटेन से लौटे लोगों के 50 सैंपल को इकट्ठा कर देश के छह लैब में पड़ताल किया जा रहा है. जिससे कोरोना वायरस के बदले हुए रूप की पहचान हो सके. टास्क फोर्स के अधिकारी पिछले महीने ब्रिटेन से देश में पहुंचे लोगों को भी पहचानने का काम कर रहे हैं.
इसके अलावा, जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए टास्क फोर्स ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पॉजिटिव मामलों का पांच प्रतिशत सैंपल सर्वेक्षण करने की जरूरत पर जोर दिया. नेशनल सेंटर फोर डिजीड कंट्रोल की अगुवाई में INSACOG नाम से जीनोमिक सर्विलांस के लिए संघ का गठन किया गया है. ये देश में फैल रहे कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन का मुयाना करेगी.
बयान में कहा गया, “समझना जरूरी है कि सभी RNA वायरस की तरह, SARS-CoV-2 वायरस रूप बदलता रहेगा. बदले रूप की रोकथाम के लिए सोशल डिस्टेंसिंग, हाथ की सफाई, मास्क पहनने और एक प्रभावी वैक्सीन जैसे उपाय हो सकते हैं.” मीटिंग की अध्यक्षता नीति आयोग के सदस्य डॉक्टर वीके पॉल ने आईसीएमआर के डायरेक्टर जनरल डॉक्टर डॉक्टर भलराम भार्गव के साथ की. रणनीति पर मंथन के लिए जुटे विशेषज्ञों में स्वास्थ्य मंत्रालय के आलाधिकारी के साथ एम्स के डॉक्टर भी शामिल रहे.
क्या है जीनोम सीक्वेंसिंग?
जीनोम यानी किसी जीव में मौजूद आनुवांशिक तत्व. जीनोम सीक्वेंसिंग तकनीक वैज्ञानिकों को वायरस के डीएनए व आरएनए में मौजूद आनुवांशिक सूचनाओं को जानने और परिभाषित करने में मदद करती है. इसके जरिए ये समझा जाता है कि मरीज में मिला वायरस कहां से आया है. वैज्ञानिकों के पास वायरस की पूरी सीक्वेंसिंग होने पर महामारी फैलने से रोकने में मदद मिलेगी.