Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the wp-statistics domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/ekumjjfz/amarbharti.com/wp-includes/functions.php on line 6114

Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the updraftplus domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/ekumjjfz/amarbharti.com/wp-includes/functions.php on line 6114

Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the wordpress-seo domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/ekumjjfz/amarbharti.com/wp-includes/functions.php on line 6114
पति-पत्नी शिक्षा के दीप से रोशन कर रहे हैं गाँव के बच्चों की ज़िंदगियां- Amar Bharti Media Group उत्तर प्रदेश

पति-पत्नी शिक्षा के दीप से रोशन कर रहे हैं गाँव के बच्चों की ज़िंदगियां

मथुरा। उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के कस्बा शेरगढ़ गाँव खुर्शी के दो युवा विद्यार्थी- सुखवीर गुर्जर और उनकी पत्नी अमिषा गुर्जर ने अपने गाँव को आदर्श बनाने के लिए अपने संघर्ष से गाँव नि:शुल्क लाइब्रेरी खोली है। सुखवीर गुर्जर 2 साल से 50 बच्चों को फ्री पढ़ा रहे थे और गाँव मे समाजिक कामों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं।  

गांव के बच्चों के लिए खोली निशुल्क लाइब्रेरी

शादी के एक महीने बाद ही उनकी जीवन साथी ने भी उनका इस काम में साथ दिया। कोरोना काल में गाँव में ही बच्चों के लिए घर के आंगन में क्लास सजाते थे। बच्चों की संख्या बढ़ी तो समस्याएं भी बढ़नी शुरू हो गई। बच्चों के बैठने के लिए जगह नहीं थी। तो उन्होंने खुले आसमान के नीचे पढ़ाना शुरू किया। सुखवीर गुर्जर को अपने गाँव खुर्शी से 50 किमी दूर मथुरा शहर लाइब्रेरी में पढ़ने जाना पड़ता था,जिसमे पढ़ाई का कीमती समय बर्बाद होता और पैसे का भी अनावश्यक खर्चा होता। गांव के ज्यादातर लोग किसान हैं जो खेती बाड़ी पर ही निर्भर हैं। इन सारी समस्याओं से गाँव के बच्चों को न जूझना पड़े इसलिए गाँव में ही अपने पुराने मकान में जहां गाय-भैंस बंधती थी, उसी पुराने मकान में अपने संघर्ष से एक नि:शुल्क लाइब्रेरी बना डाली।  

गांव के लोगों ने आगे आकर की मदद

लाइब्रेरी बनने के बाद सुखवीर और उनकी पत्नी का सपना था गाँव में ही कंप्यूटर की सुविधा मिले। उनके इस नेक सपने को पूरा करने सुखवीर के दोस्त आगे आए। किसी ने CPU, किसी ने LED, किसी ने कीबोर्ड, किसी ने लैपटॉप, जिसके पास जो सामान था उन्होंने वो दान में दे दिया। सोशल मीडिया के माध्यम से जुड़े हर वर्ग के लोगों ने भी इस सपने को पूरा करने में आर्थिक मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाए हैं। सुखवीर गुर्जर गाँव में किसान, मजदूर और गरीब के बच्चों को बड़े बड़े शहरों की शिक्षा से जुड़ी हर सुविधा नि:शुल्क देना चाहते हैं। अपने गाँव के हर बच्चे को शिक्षित करना चाहते हैं। इसलिए सुखवीर गुर्जर और उनकी पत्नी अमीषा गुर्जर ने बीड़ा उठाया है ।अपने गाँव को आदर्श गाँव बनाने का सपना है क्योंकि उनका मानना है कि भारत गाँव में बसता है।   

इलाके में क्रांति के रूप ले रही है सुखवीर की पहल

सुखवीर और उनकी पत्नी बच्चों की टोली के साथ प्रकृति को पेड़ लगाकर सजाते हैं। समय-समय पर गाँव की साफ सफाई भी करते रहते हैं। निशुल्क लाइब्रेरी के सकारात्मक पहल से प्रभावित होकर आस पास के गाँव के युवाओं और सामाजिक लोगो ने अपने अपने गाँव मे लाइब्रेरी बनाना शुरू कर दिया। ये पहल धीरे धीरे एक क्रांति का रूप ले रही है। वह समय समय पर सामान्य ज्ञान, रंगोली, मेहंदी, भाषण, खेल- कूद आदि प्रतियोगिता का आयोजन करवाते रहते हैं। सुखवीर गुर्जर का मानना है की अभी से बच्चों को हर चुनौती के लिए तैयार करवाता है और उनकी पर्सनालिटी डेवलपमेंट करना है। गाँव मे बेरोजगार युवाओं को और महिलाओं को लघु कुटीर उद्योग लगाकर रोजगार देना चाहते हैं लेकिन इसके लिए उनको ऐसे लोगों की तलाश है जो इस सपने को पूर्ण करवाने में उनका साथ दे सकें।  

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *