यूपीएससी परीक्षा का सफर इतना अनप्रिडिक्टेबल होता है कि इसमें न तो सफलता की कोई गारंटी होती है न इस बात की कि परीक्षा पास करने में कितना समय लगेगा. आमतौर पर कैंडिडेट यह मानकर चलते हैं कि इस क्षेत्र में आने का मतलब है कम से कम तीन से चार साल के प्रयास. उस पर भी सफलता मिल ही जाएगी इसकी कोई गारंटी नहीं होती.
ऐसे में अपनी लगी-लगाई लाखों की नौकरी छोड़कर इस क्षेत्र में प्रयास करने का रिस्क लेना आसान फैसला नहीं होता. लेकिन मयूर ने यह हिम्मत दिखाई और सालाना के 40 लाख के पैकेज और विदेश की नौकरी छोड़कर यूपीएससी परीक्षा देने का मन बनाया. यह उनकी हिम्मत और कड़ी मेहनत ही थी की मयूर पहली ही बार में न सिर्फ सेलेक्ट हुए बल्कि उन्होंने टॉप भी किया.
96वीं रैंक के कारण मयूर को आईएएस का पद मिला. दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू में मयूर ने मेन्स परीक्षा के लिए आंसर राइटिंग टिप्स शेयर किए. आइए जानते हैं आंसर लिखते वक्त किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और आंसर राइटिंग प्रैक्टिस क्यों जरूरी है. उससे पहले मयूर के बारे में थोड़ा और जानते हैं.
देखें मयूर काथावते द्वारा दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिया गया इंटरव्यू
मयूर का बैकग्राउंड –
मयूर शुरू से पढ़ाई में अच्छे थे और क्लास बारहवीं के बाद उन्होंने जेईई परीक्षा दी और चयनित हो गए. ग्रेजुएशन के लिए वे आईआईटी बॉम्बे गए और यहां से अच्छे नंबरों से अपनी पढ़ाई पूरी की. कोर्स खत्म होते ही मयूर को प्लेसमेंट मिला और वे एक अच्छी कंपनी में इंडिया में ही नौकरी करने लगे. यहां उन्होंने करीब एक साल काम किया. यहां से निकलकर मयूर को दूसरी जॉब ऑफर हुई दुबई में. इस जॉब में हफ्ते में पांच दिन काम था और बहुत बढ़िया सैलरी भी थी. हालांकि सब तरह की सुविधाएं होने के बावजूद मयूर का मन इस तरह के काम में नहीं लगा. वे हफ्ते में दो दिन आराम करने वाले व्यक्ति नहीं थे साथ ही कुछ ऐसा करना चाहते थे जिससे दूसरों का जीवन बदले.
ऐसे मिली प्रेरणा –
मयूर का जन्म और पालन-पोषण रूरल एरिया में हुआ था. यहां सुख सुविधाओं का अच्छा अभाव था. जब वे नौकरी के लिए दुबई गए तो उन्हें अहसास हुआ कि उनके एरिया में बहुत सारी कमियां हैं जबकि यहां चीजें बहुत आगे निकल चुकी हैं. वे भी अपने एरिया में कुछ ऐसे ही सकारात्मक बदलाव चाहते थे. इस समय उन्हें अहसास हुआ कि वर्तमान नौकरी के साथ वे कभी अपना सपना पूरा नहीं कर पाएंगे. तभी उन्होंने जमी-जमायी नौकरी छोड़ इंडिया वापस आकर यूपीएससी की तैयारी का मन बनाया. दरअसल यही वो क्षेत्र था जिसमें जाकर वे देश और देश के जरूरतमंद लोगों के लिए कुछ कर सकते थे.
मयूर का डर बना उनका मोटिवेशन –
एक तरफ मयूर अपने इरादे को लेकर पक्के थे पर दूसरी तरफ वे यह भी जानते थे कि यूपीएससी परीक्षा कितनी अनप्रिडिक्टेबल है जहां सफलता की कोई गारंटी नहीं. उनका यह डर उन्हें दिन रात अच्छा करने के लिए मोटिवेट करता था क्योंकि उन्हें लगता था कि अगर यहां सफल नहीं हुए और पुरानी नौकरी भी छोड़ आए हैं तो उनका होगा क्या. इसके साथ ही उनके बहुत से दोस्त जो उनके साथ पढ़े थे बड़ी कंपनियों में सीईओ जैसे बड़े पदों पर थे. मयूर उनसे भी कांपटीशन फील करते थे. ये सब कारण या डर ही वो वजह बने जिन्होंने मयूर को यूपीएससी परीक्षा के लिए जी-जान एक करने पर मजबूर कर दिया. हालांकि मयूर को भी इस बात का अंदाजा नहीं था कि पहली बार में ही उनका सेलेक्शन हो जाएगा.
मयूर मानते हैं आंसर राइटिंग को बहुत अहम –
अपनी तैयारी के विषय में बात करते हुए मयूर कहते हैं कि मेन्स परीक्षा में आंसर राइटिंग का बहुत अहम रोल है. जब तक कैंडिडेट अपने उत्तरों को प्रभावशाली तरीके से लिखना नहीं सीख जाता तब तक उसके लिए सफल होना आसान नहीं होता. वे कहते हैं कि पेपर बहुत होते हैं और समय कम. दिए गए समय में पेपर पूरा करना बहुत मुश्किल है और ऐसा तब तक नहीं होगा जब तक आप अभ्यास नहीं करेंगे. छः से सात मिनट में एक आंसर लिखना, उसे फ्रेम करना और सारी वे बातें लिखना जिससे एग्जामिनर खुश हो जाए तभी आएगा जब आप जमकर प्रैक्टिस करेंगे.
अगली जरूरी बात है आंसर्स में फैक्ट्स, फिगर्स, डायग्राम्स, फ्लो चार्ट्स आदि डालने की. इन्हें डालने से आंसर वजनदार बनता है. बेहतर होगा पिछले साल के प्रश्न-पत्र देखें, टॉपर्स की आंसरशीट देखें और आंसर राइटिंग की जितनी हो सके प्रैक्टिस करें. ऐसा करने से सफलता मिलने के चांसेस बढ़ जाते हैं.