नई दिल्ली। आज के जमाने में हम लोग भोजन के लिए डाइनिंग टेबल या कुर्सी के आदी हो गए है, कुर्सी से इतना लगाव भी ठीक नहीं वरना आम लोगों और नेताओं में क्या फर्क रह जाएगा। मजाक से इधर जमीन पर बैठकर खाना खाने की परंपरा तो भारत में प्राचीन काल से ही चली आ रही है। क्योंकि इससे हमारी सेहत पर कई सारे सकरात्मक असर होते हैं और तो और हम कई तरह की बीमारियों से भी सुरक्षित रहते हैं।
मत बने रहिये ‘कुर्सी ग्रस्त’
डाइनिंग टेबल या टेबल-कुर्सी पर बैठकर खाने के मुकाबले बैठकर भोजन करना एक प्रकार के योग का आसन भी है। इसमें हम जिस तरह एक पैर को दूसरे पैर रखकर बैठते हैं, वह सुखासन या पद्मासन की मुद्रा है। इन दोनों ही आसनों से एकाग्रता बढ़ती है। साथ ही मानसिक तनाव भी दूर होता है।
मांसपेशियां निरंतर रहती कार्यरत
साथ ही जमीन पर बैठकर खाने से आपको भोजन करने के लिए प्लेट की तरफ झुकना होता है, यह एक नैचुरल पोज है। लगातार आगे होकर झुकने और फिर पीछे होने की प्रक्रिया से आपके पेट की मांसपेशियां निरंतर कार्यरत रहती हैं, जिसकी वजह से आपकी पाचन क्रिया भी बेहतर बनती है और खाना जल्दी पचता है। जिससे आपको भोजन का पूरा फायदा मिलता है।
सांस भी रहती है संयमित
इसके अलावा फर्श पर बैठकर खाने से हमारा बॉडी-पोश्चर बेहतर बनता है और शरीर की कई तकलीफें दूर होती हैं। इससे आपकी मांसपेशियों को मजबूती मिलती है। साथ ही सही पोस्चर में बैठने से आपके शरीर में रक्त का संचार बेहतर होता है, जिससे हृदय को भी कम मेहनत करनी पड़ती है। इस तरीके से बैठने से आपकी रीढ़ की हड्डी के निचले भाग पर जोर पड़ता है, इससे आपकी सांस की रफ्तार संयमित होती है। मांसपेशियों का खिंचाव कम होता है और रक्तचाप में भी कमी आती है।