
लखनऊ, 23 अगस्त 2025। भारत मौसम विज्ञान विभाग, मौसम विज्ञान केंद्र लखनऊ ने प्रदेश के किसानों के लिए भारी वर्षा और खेतों में जलभराव को लेकर गंभीर चेतावनी जारी की है। मौसम विज्ञान केंद्र ने किसानों को बताया कि इस समय खरीफ फसलें महत्वपूर्ण विकास चरण में हैं और भारी वर्षा के कारण खड़ी फसलें गिर सकती हैं, सड़ सकती हैं और उत्पादन में कमी आ सकती है। फसलें न केवल गिरकर क्षतिग्रस्त होती हैं, बल्कि उनमें रोग और कीट भी तेजी से फैल सकते हैं, जिससे किसानों के लिए आर्थिक नुकसान की संभावना बढ़ जाती है। विभाग ने किसानों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि भारी वर्षा के दौरान सिंचाई का कार्य स्थगित रखें और खेत में जलभराव को कम करने के लिए उचित उपाय करें।
मौसम विज्ञान केंद्र ने बताया कि खरीफ मक्का इस समय नर मंजरी से भुट्टों में बाल (भुआ) निकलने की अवस्था में है। भारी वर्षा और खेत में जलभराव के कारण मक्का की फसलें गिर सकती हैं, जिससे उत्पादन प्रभावित हो सकता है। धान की फसल कल्ले निकलने से पुष्पगुच्छ के चरण में है, और यहां भी जलभराव की वजह से फसल नुकसान के संकेत दे रही है। अरहर, मूँगफली, तिल, उर्द और मूँग जैसी दालें शाखाओं के निकलने और फूल आने की अवस्था में हैं। इन फसलों में भारी वर्षा के कारण फूल झड़ सकते हैं, परागण प्रभावित हो सकता है और फली के बनने की प्रक्रिया धीमी हो सकती है। इसके परिणामस्वरूप उत्पादन में कमी आ सकती है।
सब्जी फसलें भी भारी वर्षा से प्रभावित हो रही हैं। बीज से पत्तियों के विकास और वनस्पति पुष्पन की अवस्थाओं में सब्जियों की फसलें गाद और जलभराव के कारण क्षतिग्रस्त हो रही हैं। किसानों को सलाह दी गई है कि भारी वर्षा के दौरान बुवाई और रोपाई स्थगित रखें और फसलों से अतिरिक्त वर्षा जल को बाहर निकालें। ऐसा न करने पर फसलें सड़ सकती हैं और उत्पादन पर गंभीर असर पड़ सकता है।
केला और पपीता के बागों में भारी वर्षा से पौधे गिर सकते हैं और उनके फलन पर असर पड़ सकता है। मौसम विज्ञान केंद्र ने किसानों को निर्देश दिया कि बागों से अतिरिक्त जल निकासी सुनिश्चित करें और किसी भी प्रकार के रासायनिक छिड़काव या सिंचाई कार्य को स्थगित रखें। फसलों के विकास के दौरान उचित जल निकासी और समय पर देखभाल से नुकसान को कम किया जा सकता है।
किसानों को सलाह दी गई है कि भारी वर्षा के दौरान खड़ी फसलों में कीटनाशक, रोगनाशी और उर्वरकों का छिड़काव न करें। ऐसा करने से फसल पर अतिरिक्त दबाव नहीं पड़ेगा और रोग और कीट फैलने का खतरा कम होगा। सिंचाई का कार्य भी इस दौरान स्थगित रखना आवश्यक है। किसानों को खेतों में जल निकासी की उचित व्यवस्था करनी चाहिए, ताकि फसलें सुरक्षित रहें और उत्पादन प्रभावित न हो।
मौसम विज्ञान केंद्र ने बताया कि भारी वर्षा के कारण पत्तियों का विकास रुक जाता है, फूल झड़ सकते हैं और फली का निर्माण प्रभावित हो सकता है। इसके अलावा, खेतों में जलभराव के कारण कीटनाशक और रोगनाशी का प्रभाव कम हो जाता है, जिससे फसलें और अधिक नुकसान झेल सकती हैं। इसलिए किसानों को निर्देशित किया गया है कि वे जल निकासी की व्यवस्था पहले से कर लें और भारी वर्षा के दौरान किसी भी प्रकार के छिड़काव से बचें।
विभाग ने यह भी चेतावनी दी कि यदि किसानों ने इन निर्देशों का पालन नहीं किया, तो फसलों का नुकसान और बढ़ सकता है। विशेष रूप से खरीफ मक्का, धान, अरहर और मूँगफली की फसलें अभी संवेदनशील अवस्था में हैं, इसलिए इस समय किसानों को मौसम विज्ञान विभाग की सलाह का पूरी तरह पालन करना आवश्यक है।
किसानों से अपील की गई है कि वे फसलों की सुरक्षा के लिए खेत में जलभराव कम करने के लिए नालियों और ड्रेनेज की व्यवस्था करें। साथ ही भारी वर्षा के दौरान बुवाई और रोपाई स्थगित रखें और फसलों में किसी भी प्रकार की रासायनिक छिड़काव से बचें। इससे फसल सुरक्षित रहेगी और उत्पादन में गिरावट कम होगी।
मौसम विज्ञान केंद्र लखनऊ ने स्पष्ट किया कि भारी वर्षा का प्रभाव सभी खरीफ फसलों पर पड़ सकता है और इससे खेती पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा। इसलिए किसानों को समय पर सावधानी बरतनी होगी और खेतों में अतिरिक्त जल निकासी की व्यवस्था करनी होगी। भारी वर्षा के दौरान फसलों के विकास पर नजर रखना आवश्यक है, ताकि नुकसान को कम किया जा सके।
किसानों के लिए विशेष निर्देश हैं कि भारी वर्षा के दौरान खेतों में सिंचाई न करें, खड़ी फसलों से अतिरिक्त जल निकालें, बुवाई और रोपाई स्थगित रखें और फसलों में कीटनाशक, रोगनाशी और उर्वरक का छिड़काव न करें। इस तरह किसानों के लिए फसलों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी और उत्पादन पर न्यूनतम असर पड़ेगा।
मौसम विज्ञान केंद्र ने यह भी कहा कि भारी वर्षा और जलभराव से प्रभावित क्षेत्रों में किसानों को तत्काल उपाय करने चाहिए। जल निकासी की उचित व्यवस्था, फसल की सुरक्षा और छिड़काव से बचाव फसलों को सुरक्षित रखने के महत्वपूर्ण कदम हैं। किसानों से अनुरोध किया गया है कि वे मौसम विज्ञान विभाग की सलाह के अनुसार अपने खेतों में कार्रवाई करें।
किसानों को याद दिलाया गया है कि भारी वर्षा और जलभराव के समय किसी भी तरह का उर्वरक या कीटनाशक का छिड़काव करना नुकसानदेह हो सकता है। इसके बजाय खेत से अतिरिक्त पानी निकालना और सिंचाई को स्थगित रखना फसलों की सुरक्षा के लिए सर्वोत्तम उपाय है।
इस प्रकार मौसम विज्ञान केंद्र लखनऊ ने प्रदेश के किसानों को खरीफ फसलों के नुकसान से बचाने के लिए विस्तृत और स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं। किसानों को सलाह दी गई है कि वे इन सभी उपायों का पालन करें और खेतों में जल निकासी की उचित व्यवस्था करें। इससे फसलों का विकास सही तरीके से होगा और उत्पादन प्रभावित नहीं होगा।