नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख और पैंगांग झील से पीछे हटने को मजबूर होने के बाद चीन अब अपने ही मुल्क में घिर गया है। ऐसे में चीनी मीडिया शी जिनपिंग की सत्ता को बचाने की जुगत में जुट गई है। साम्राज्यवादी चीन पर अब दुनिया के कई बड़े मुल्कों की ओर से दबाव भी बढ़ता जा रहा है। इन सबसे निजात पाने और चीनी नागरिकों के दिलों में झूठी रौब गांठने में भी मीडिया कोई कोर कसर बाकी नहीं रख रही है।
आठ महीने बाद भी झूठ बोल रहा चीन
भारत-चीन के बीच चुशूल-मोलदो (पूर्वी लद्दाख़) सीमा पर हुई कॉप्र्स कमांडर स्तर के 10वें दौर की बातचीत के बाद चीन के रक्षा मंत्रालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि, चीनी सेना का वापस लौटना भारत-चीन के बीच समबंधों में सुधार की ओर अग्रसर एक सराहनीय कदम है व दोनों तरफ इसकी प्रशंसा भी हो रही है।
आपको बता दे कि यह पहली बार नहीं है जब चीन अपनी नाकामी पर आधिकारिक बयानों का परदा डाल रहा है। जून 2020 में गलवान घाटी में भारतीय जवानों और चीनी सैनिकों के बीच हुई झड़प का एक आधिकारिक वीडियो चीन ने लगभग 8 महीनों बाद ट्वीट करते हुए यह दिखाने का असफल प्रयास किया कि, किस तरह से जून में हुई झड़प में चीनी सैनिक आक्रामक ही नहीं थे। हालांकि, असलियत से पूरा विश्व पहले ही वाकिफ हो चुका है।
चालबाज चीन का बदलता मिजाज
गौरतलब यह भी है कि शंघाई इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल स्टडीज स्थित रिसर्च सेंटर चीन-दक्षिण एशिया कॉपरेशन के महासचिव लियु जॉन्गी ने कहा कि दोनो देशों (भारत-चीन) के बीच संबंध कहा तक सफल हो सकता है, वह चीन पर कतई निर्भर नहीं करता और गेंद अब भारत के पाले में हैं।