28 वर्ष पूर्व जिस नरेन्द्र मोदी ने यह संकल्प लिया था कि अब वे अयोध्या तभी जाएंगे जब मन्दिर निर्माण का कार्य प्रारम्भ होगा।
आज 28 वर्ष बाद नरेन्द्र मोदी की अयोध्या वापसी भी हुई और मन्दिर निर्माण के लिए भूमि पूजन भी। यह चमत्कारिक आध्यात्मिक घटना है जिसको साकार होते सवा सौ करोड़ देशवासियों ने देखा।
28 वर्ष पूर्व 1992 मं प्रधानमंत्री मोदी पहली बार अयोध्या पहुंचे थे। तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी के नेतृत्व में निकाली गई तिरंगा यात्रा में मोदी उनके साथ थे। गौरतलब है कि यह यात्रा कश्मीर में धारा 370 को हटाने की मांग को लेकर निकाली गई थी। आज न तो कश्मीर में धारा 370 है और न ही अयोध्या समस्या।
जाहिर है कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने दृढ़संकल्प से दुविधा की बेडिय़ों को नष्ट कर दिया। पीएम मोदी श्रीराम जन्मभूमि जाने वाले देश के पहले प्रधानमंत्री बन गये हैं। यही नहीं, यह पहला मौका था जब किसी प्रधानमंत्री ने हनुमानगढ़ी का दर्शन किया।
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इसमें कोई दो राय नहीं कि राममन्दिर की राह में रोड़े अटकाने वाले अन्तिम समय तक प्रयास करते रहे लेकिन अंतत: देश की सर्वोच्च अदालत के फैसले के बाद राममन्दिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ। जब भी अयोध्या की बात होगी विश्व हिन्दू परिषद, संघ, भारतीय जनता पार्टी और उन कारसेवकों का नाम सम्मान के साथ लिया जाएगा जिन्होंने राममन्दिर निर्माण के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया।
आज भारत में दीपोत्सव है तो इसके पीछे जनभावनाओं की वह पवित्र भावना है जो रामराज्य की परिकल्पना में ही अपना जीवन जीने की लालसा रखती है। मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन के साथ ही देश से कुछ नारे अब अस्तित्व में नहीं रहेंगे।
जैसे, ‘मन्दिर वहीं बनाएंगे, तारीख नहीं बताएंगे। 500 साल बाद यह सुखद संयोग आने के बाद हर भारतीय न सिर्फ अपने आपको गौरवान्वित महसूस कर रहा है, अपितु इस अवसर पर मन, बचन व काया से श्रीराम प्रभु की भक्ति में डूब गया है।
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प्रधानमंत्री मोदी द्वारा मन्दिर निर्माण के लिए भूमि पूजन के बाद छद्म धर्मनिरपेक्षता की वह स्याह छाया भी विलुप्त हो गई है जिसके आवरण में राजनेता छिपकर भारत की महान सांस्कृतिक विरासत को गाहे-बगाहे घेरते रहते थे।
भगवान श्रीराम मन्दिर निर्माण के अवसर पर आज सम्पूर्ण भारत बिना किसी भेदभाव और रागद्वेष के यही कह रहा है-जय श्रीराम, जय श्रीराम, जय श्रीराम।