
लखीमपुर खीरी। दशकों से अपने शे’रों से लोगों के दिलों की धड़कन बने शायर डॉ. अख़लाक़ के सम्मान में दिल्ली एक भव्य समारोह आयोजित करने जा रही है। उर्दू अकादमी दिल्ली की माली इमदाद से भारतीय महिला विकास समिति दिल्ली द्वारा “अदब की रोशनी में जश्ने डॉक्टर अख़लाक़” शीर्षक से यह कार्यक्रम 30 नवंबर 2025 को नागलोई मेट्रो स्टेशन के निकट सुरभि स्टूडियो में आयोजित होगा। इस मौके पर एक भव्य ऑल इंडिया मुशायरा भी होगा जिसमें देशभर के चुनिंदा शायर और बुद्धिजीवी शामिल होंगे।
डॉ. अख़लाक़ का जन्म वर्ष 1972 में उत्तर प्रदेश के सीतापुर ज़िले के हरगांव क्षेत्र के इस्माईलपुर में हुआ। उन्होंने 1995 में अदब की दुनिया में कदम रखा और शुरुआत से ही अपने शे’रों में जिद्दत व नए तेवर अपनाए, जिसके कारण उनकी शायरी जल्द ही ख़ास-ओ-आम में बेहद मक़बूल हो गई। 2004 में लखीमपुर खीरी आने के बाद उनका अदबी सफर लगातार बुलंदियों की ओर बढ़ता गया—नशिस्तों और मुशायरों से लेकर आकाशवाणी लखनऊ, दूरदर्शन लखनऊ और दूरदर्शन दिल्ली तक उनकी गूंज सुनाई दी।
डॉ. अख़लाक़ ने ग़ज़ल के साथ-साथ नज़्म, क़तआत, नात-ए-पाक, हम्द, रूबाई और अफ़साना निगारी में भी अपने हुनर का लोहा मनवाया है। उनका पहला शे’री मजमुआ “संदल” वर्ष 2015 में फ़ख़रुद्दीन अली अहमद मेमोरियल कमेटी लखनऊ की इमदाद से प्रकाशित हुआ। दूसरा मजमुआ “मुट्ठी भर सूरज” 2023 में इसी कमेटी की सहायता से छपा और खासा चर्चित रहा। उनका तीसरा मजमुआ “ज़ख्मदान” भी जल्द ही मंज़र-ए-आम पर आने वाला है।
इस सम्मान समारोह को लेकर लखीमपुर खीरी के अदबी हलकों में खुशी की लहर है। इस मौके पर डॉक्टर ख़्वाजा सैयद हादी-उल-जीलानी ने कहा—
“डॉक्टर अख़लाक़ की अदबी और इल्मी ख़िदमात के एतराफ़ में दिल्ली जैसे अज़ीम और अदबी शान रखने वाले शहर में यह पुर-वक़ार और तारीखी नौइयत की तक़रीब होना हमारे लिए फख़्र की बात है। उनकी शख्सियत इल्म-ओ-फ़न की रोशनी, तहज़ीब-ओ-अख़लाक़ की खुशबू और खिदमते-क़लम के खुलूस से सराबोर है। नई नस्ल के लिए वह एक रौशन मिसाल हैं।”
डॉ. अख़लाक़ के सम्मान में होने वाला यह जश्न न केवल लखीमपुर के अदबी माहौल के लिए गर्व का अवसर है, बल्कि उर्दू साहित्य में उनके अमूल्य योगदान की देशव्यापी स्वीकृति भी है।