
रिपोर्ट : रजत गुप्ता (जसवंतनगर/इटावा)
जसवंतनगर/इटावा। विश्वप्रसिद्ध जसवंतनगर की मैदानी रामलीला में 165 वर्ष पुरानी परंपराओं को तोड़ते हुए इस बार भगवान राम का डोला पहली बार युद्ध करते हुए सराय खाम, जैन बाजार, लोहा मंडी, छोटा चौराहा होकर निकाला गया। इसके बाद रामलीला मैदान में नागपाश, यज्ञ विध्वंस, मेघनाथ वध और सती सुलोचना की लीला का मंचन हुआ।

इतिहास में अब तक मैदानी रामलीला का युद्ध प्रदर्शन कटरा पुख्ता, कटरा बुलाकी दास और बड़ा चौराहा होते हुए सीधे रामलीला मैदान तक ही होता आया था, लेकिन इस बार परंपरा को बदलकर नया रूट अपनाया गया। जैसे ही पहली बार भगवान श्रीराम का डोला जैन बाजार पहुंचा, वहां जोरदार स्वागत हुआ और जय श्रीराम के गगनभेदी नारे गूंज उठे। भक्तिमय वातावरण में हर कोई भाव-विभोर दिखाई दिया।
नगर में यह चर्चा का विषय बना रहा कि आखिर रामलीला का रूट पहली बार क्यों बदला गया? क्या आने वाले वर्षों में इसे और भी रूटों से निकाला जाएगा? समिति इस पर क्या निर्णय लेगी, यह सवाल जनमानस के बीच उठने लगे।
रामलीला मैदान में मंचन के दौरान लक्ष्मण निकुंभिला देवी मंदिर परिसर पहुंचे, जहां मेघनाथ विजय हेतु यज्ञ कर रहा था। लक्ष्मण ने यज्ञ को विध्वंस कर दिया और फिर दोनों के बीच भयंकर युद्ध छिड़ गया। कई घंटों तक चले इस युद्ध में अंततः लक्ष्मण ने इंद्रास्त्र का प्रयोग कर मेघनाथ का वध कर दिया।
इससे पूर्व मेघनाथ ने नागपाश से राम, लक्ष्मण और पूरे रामदल को बांध दिया था। दर्शकों को रोमांचित कर देने वाले इस दृश्य में एक वानर आकर नागपाश को तोड़ देता है और सभी मुक्त हो जाते हैं। युद्ध दृश्य के दौरान मेघनाथ और रावण का रामदल से भीषण संघर्ष भी मंचित किया गया, जिसे देखकर दर्शक मंत्रमुग्ध रह गए।
अब दर्शकों को शुक्रवार रात 10 बजे पंचक लग्न में रावण वध का इंतजार है। इस ऐतिहासिक क्षण पर विधायक शिवपाल सिंह यादव की उपस्थिति भी रहेगी।