
हरदोई/जरेली। विश्वेश्वरनाथ महादेव शिव मंदिर में पितृ पक्ष के अवसर पर आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के चतुर्थ दिवस की रात्रि कालीन बेला में नैमिषधाम से पधारे कथावाचक पं० सुदामा शुक्ला जी महाराज ने जीवन का उच्चतम उद्देश्य समझाया। महाराज ने कहा कि मनुष्य जीवन केवल भौतिक विषयों को भोगने के लिए नहीं मिला है, बल्कि इसका लक्ष्य प्रभु प्राप्ति है। “अगर हम यह दृढ़ निश्चय कर लें कि हमें प्रभु को पाना ही है, तो इससे बेहतर कोई सुख नहीं है,” उन्होंने कहा।
सुदामा शुक्ला जी महाराज ने बताया कि भागवत पुराण सनातन धर्म के अठारह पुराणों में से एक है और इसका मुख्य विषय भक्ति योग है। इसमें भगवान की विभिन्न कथाओं का सार समाहित है। उन्होंने भागवत कथा सुनने के नियम बताते हुए ऋषि विश्वामित्र और भगवान रामचंद्र के अयोध्या प्रस्थान, ताड़का वध, धनुष यज्ञ और पुष्प वाटिका में सीता जी के दर्शन की कथाएं प्रस्तुत की।
महाराज ने भागवत कथा में राजा परीक्षित और सुकदेव के संवाद का उल्लेख करते हुए बताया कि राजा परीक्षित ने सुकदेव से प्रश्न किया था कि मरने वाले जीव के कल्याण का साधन क्या है। सुकदेव ने श्रीमद्भागवत कथा का महत्व बताते हुए कहा कि इसे सुनने से ही मुक्ति प्राप्त होती है।
इस अवसर पर मंदिर के पुजारी श्रवण कुमार सिंह सन्नू, सेवादार स्वास्तिक प्रताप सिंह, किसान नेता कपिल मौर्या, बबलू सिंह, आनंद सिंह उर्फ लश्करी, रजनीश पांडेय, रमेश गुप्ता, परीक्षित सुधीर राठौर, सत्यम राठौर सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।