हाईकोर्ट की फटकार पर चार पुलिसकर्मी व लेखपाल निलंबित!

जौनपुर, 12 जुलाई। सरकारी जमीन पर कब्जे की शिकायत करना एक याची और उसके अधिवक्ता को भारी पड़ गया। जौनपुर जिले के मुंगराबादशाहपुर के बड़ागांव निवासी गौरीशंकर सरोज द्वारा हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका के बाद पुलिस और लेखपाल ने आरोपी पक्ष से मिलकर याचिकाकर्ता को प्रताड़ित किया। पीड़ित पक्ष ने आरोप लगाया कि पुलिस ने 2 हजार रुपये लेकर उसके पोते को छोड़ा और अधिवक्ता के घर दबिश देकर केस से पीछे हटने का दबाव बनाया।

पूरा मामला हाईकोर्ट की नजर में आते ही पुलिस प्रशासन में हड़कंप मच गया। कोर्ट ने जौनपुर एसपी को फटकार लगाते हुए स्पष्ट आदेश दिया कि बिना कोर्ट की अनुमति के याची या उसके अधिवक्ता को प्रताड़ित न किया जाए। साथ ही 15 जुलाई को एसपी डॉ. कौस्तुभ को एफिडेविट के साथ व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया गया है।

याची और अधिवक्ता के खिलाफ दबाव की कार्रवाई

30 अप्रैल 2025 को इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका में सरकारी जमीन पर जोखन बिंद द्वारा अवैध कब्जे की शिकायत की गई थी। कोर्ट की संज्ञान लेने के बाद हल्का लेखपाल विजय शंकर और पुलिसकर्मियों ने याची पक्ष पर दबाव बनाना शुरू कर दिया। 17 मई को पुलिस ने याची के पोते को गिरफ्तार कर लिया और 2 हजार रुपये लेकर छोड़ दिया। इसके बाद अधिवक्ता विष्णु कांत तिवारी के घर देर रात दबिश दी गई और उन्हें केस वापस लेने के लिए धमकाया गया।

हाईकोर्ट की सख्ती, दोषियों पर गिरी गाज

11 जुलाई को अधिवक्ता द्वारा दाखिल एफिडेविट पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने एसपी और एएसपी ग्रामीण पर नाराजगी जताई। जांच में लापरवाही बरतने पर कोर्ट ने एएसपी ग्रामीण आतिश कुमार सिंह की रिपोर्ट को भी खारिज कर दिया।

इसके बाद एसपी डॉ. कौस्तुभ ने बड़ी कार्रवाई करते हुए मुंगराबादशाहपुर के इंस्पेक्टर दिलीप कुमार सिंह, उपनिरीक्षक इंद्रदेव सिंह, सिपाही पंकज मौर्य और नितेश गौड़ को निलंबित कर दिया। लेखपाल विजय शंकर को मछलीशहर एसडीएम ने निलंबित किया। साथ ही दोषी पुलिसकर्मियों और लेखपाल के अलावा विपक्षी शिव गोविंद बिंद के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है।