
किरावली (आगरा)।कस्बा किरावली का मिनी स्टेडियम आज अपनी ही किस्मत पर आंसू बहा रहा है। सरकारें और जिम्मेदार अधिकारी बदलते रहे, पर हालात जस के तस हैं। करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद स्टेडियम आज भी खिलाड़ियों के लिए उपयोगी नहीं बन सका। मैदान अब खेल का नहीं, बल्कि कूड़े-कचरे और झाड़ियों का अड्डा बन चुका है।
वर्ष 2016 में समाजवादी पार्टी सरकार के दौरान तत्कालीन खेल एवं युवा कल्याण मंत्री रामसकल गुर्जर ने किरावली मिनी स्टेडियम के विकास और सौंदर्यीकरण के लिए डेढ़ करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि स्वीकृत की थी। परंतु शिलान्यास के कुछ ही समय बाद निर्माण कार्य में अनियमितताएं शुरू हो गईं और परियोजना अधर में लटक गई।

निर्माण में गड़बड़ी और फर्जीवाड़े के आरोप
सूत्रों के मुताबिक, निर्माण कार्य में बड़े पैमाने पर ‘ईंट-रोड़ा’ और मिट्टी भराई के नाम पर हेराफेरी की गई। अधिकांश बजट केवल मिट्टी डालने में खर्च कर दिया गया, जबकि वास्तविक विकास कार्य अधूरा रह गया। अब परिसर में गड्ढे, टूटे बाउंड्री वॉल और जंग लगे गेट इस भ्रष्टाचार की कहानी बयां कर रहे हैं।
खिलाड़ियों की उम्मीदों पर पानी
स्थानीय खिलाड़ियों और खेल प्रेमियों का कहना है कि मैदान में अब खेल नहीं, बल्कि गंदगी और अव्यवस्था दिखाई देती है। खेल गतिविधियों के लिए न तो कोई सुविधा है, न ही रखरखाव का इंतजाम। कई युवा निराश होकर अन्य मैदानों में अभ्यास करने को मजबूर हैं।
भ्रष्टाचार की जांच की मांग
ग्रामीणों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने सरकार से मांग की है कि इस परियोजना की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए और जो भी अधिकारी या ठेकेदार भ्रष्टाचार में लिप्त पाए जाएं, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो। साथ ही, स्टेडियम को खेल योग्य स्थिति में पुनः विकसित किया जाए ताकि युवा अपने गांव में ही खेल प्रशिक्षण ले सकें।
तीन दशक पुरानी अधूरी कहानी
जानकारी के अनुसार, इस परियोजना की नींव सबसे पहले 1991-92 में तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की सरकार में रखी गई थी। उस समय 58 लाख रुपये की धनराशि स्वीकृत हुई थी और निर्माण कार्य जल निगम मथुरा को सौंपा गया था। चार कमरे, एक हॉल और भूमि समतलीकरण के बाद काम अधूरा छोड़ दिया गया।
तीन दशकों में कई सरकारें आईं और गईं, लेकिन किरावली मिनी स्टेडियम का विकास भ्रष्टाचार और लापरवाही की प्रतीक बनकर रह गया है।