नहर विभाग की अनदेखी से किसानों की फसलें जलमग्न, शासन से संज्ञान लेने की मांग


गोला गोकर्णनाथ-खीरी। लखीमपुर खीरी के ग्राम मूड़ा विष्णु के किसान सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग की नहरों की सफाई व रख-रखाव न होने से लगातार प्रभावित हो रहे हैं। जिले की सिंचाई खंड प्रथम धिरावा माइनर की नहर, जिसकी लंबाई लगभग 9 किलोमीटर है, खोखाइ और हेमपुर से निकलकर छितौनियाँ, धिरावा, मूड़ा भाई, तुर्कीखेड़ा, बेलवा होते हुए मूड़ा विष्णु में सरायन नदी में गिरती है।
किसानों का कहना है कि नहर विभाग द्वारा सफाई और खुदाई का काम केवल बेलवा तक ही किया जाता है, जबकि मूड़ा विष्णु तक नाले की सफाई न होने के कारण नवंबर-दिसंबर से जनवरी के अंतिम सप्ताह तक खेतों में आने वाला पानी जल सैलाब का रूप ले लेता है। इसके चलते किसान रवी और अन्य फसलों की बुवाई समय पर नहीं कर पाते, और यदि फसल बो भी दी जाए तो पानी के आने से लाखों की फसलें नष्ट हो जाती हैं।
किसानों ने बताया कि वे समय-समय पर सिंचाई विभाग को भुगतान करते हैं, लेकिन नहर विभाग की लापरवाही के कारण उन्हें किसी प्रकार का मुआवजा नहीं मिला। जल सैलाब से प्रभावित फसलों में मसूर, सरसों, आलू, चना, गेहूं, मटर आदि शामिल हैं। किसान अपने बीज, खाद, उर्वरक, कीटनाशक आदि की खरीद के लिए बैंक और सहकारी समितियों से कर्ज लेकर मेहनत करते हैं, लेकिन नहर विभाग की अनदेखी उन्हें आर्थिक और सामाजिक रूप से कमजोर कर देती है।
किसानों ने शासन और सरकार से आग्रह किया है कि इस चोक नाले की सफाई व खुदाई का कार्य अविलंब पूरा कराया जाए, ताकि किसानों की फसलें समय पर बोई जा सकें और जल सैलाब से बचाई जा सकें। इस चोक नाले से प्रभावित किसानों में मुकेश वर्मा, विकास कुमार, विपिन कुमार, जाकिर अली, नरेश वर्मा, मो. रफीक, कलामुद्दीन, रामसागर वर्मा, मो. अतीक, पर्मेश्वरदीन वर्मा, हबीबुल्ला, भोगनाथ वर्मा, धरमिंद्र कुमार, सनाउला, फ़ैज़ मोहम्मद, नूर मोहम्मद, जियाउद्दीन, जिलेदार, कमरुद्दीन, रामशंकर पाल, सकिर अली, छोटे लाल शर्मा, अनिल कुमार, पर्मेश्वर भार्गव, सागर राज, रामसागर शर्मा, आदेश शर्मा, बालक राज आदि शामिल हैं।
किसान चेतावनी देते हुए कहते हैं कि यदि नहर विभाग अपने कर्तव्यों का पालन नहीं करता, तो फसलों का नुकसान बढ़ता रहेगा और स्थानीय अन्नदाता आर्थिक संकट में फँसते रहेंगे। शासन को चाहिए कि सख्त कदम उठाकर नहर विभाग को नाले की सफाई और रख-रखाव के लिए मजबूर करे, ताकि किसानों की मेहनत और अन्न की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।