भारत को साल 2005 में ज़मीन के अंदर मिले खोए हुए अवशेष
नई दिल्ली। बीते गुरूवार मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने देश को संबोधित करते हुए एक बड़ी दिलचस्प बात इतिहास से उठाकर लोगों के कानों में डाल दी। जिसके बाद लोग इसे भारत-जॉर्जिया मैत्री संबंद्ध से भी जोड़कर देख रहे है। दरअसल प्रधानमंत्री मोदी ने मन की बात कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी एक महीला का ज़िक्र किया जिसे शायद इतिहास में रूचि रखने वाले जानते हो। खैर, पीएम मोदी ने कार्यक्रम के दौरान बताया कि भारत ने सेंट क्वीन केटेवान की मौत के करीब 400 साल बाद उनके कुछ अवशेष जॉर्जिया सरकार को सौंपे हैं। बकौल प्रधानमंत्री,”अवशेष 2005 में गोवा के एक चर्च से मिले। केटेवान जॉर्जिया के राज परिवार की बेटी थी। 10 साल के कारावास के बाद 1624 में वह शहीद हो गई थी।”
कौन थी सेंट क्वीन केटेवान
सेंट क्वीन केतेवन’ 17 वीं सदी में जॉर्जिया की महारानी थीं। ईरान के शीराज़ में 10 साल के कारावास के बाद वह शहीद हो गई थी। 1627 में उनके अवशेष गोवा लाए गए थे। ईसाई धर्म को छोड़ने और इस्लाम में परिवर्तित होने से इनकार करने के लिए काखेती के सफ़वीद अधिपतियों द्वारा लंबे समय तक यातनाओं के बाद, शिराज, ईरान में उन्हें मार दिया गया था।
2005 में मिले खोए हुए अवशेष
लंबे समय तक यह माना जाता रहा कि गोवा में दफनाए गए उनके अवशेष 1930 के भूकंप में गायब हो गए थे लेकिन भारत सरकार और जॉर्जिया के इतिहासकारों, शोधकर्ताओं, पुरातत्वविद और जॉर्जियन चर्च के दशकों के अथक प्रयासों के बाद 2005 में उन पवित्र अवशेषों को खोजने में सफलता मिली थी यह अवशेष गोवा के सेंट ऑगस्टीन कॉन्वेंट में पाए गए थे। जिन्हें अब भारत ने जॉर्जिया देश को सौंप दिया है।
भारत और जॉर्जिया के लिए एक भावनात्मक घटना- पीएम
प्रधानमंत्री मोदी ने महारानी केटेवान के अवशेषों को जॉर्जिया देश को सौंपने वाले पल को भावनात्मक पल कहा और बकौल प्रधानमंत्री,”कुछ दिन पहले एक बहुत ही इंटरेस्टिंग और बहुत ही इमोशनल इवेंट हुआ, जिससे भारत-जॉर्जिया मैत्री को नई मजबूती मिली|”
“इस समारोह में भारत ने सेंट क्वीन केटेवान के होली रेलिक यानि उनके पवित्र स्मृति चिन्ह जॉर्जिया की सरकार और वहाँ की जनता को सौंपा, इसके लिए हमारे विदेश मंत्री स्वयं वहाँ गए थे| बहुत ही भावुक माहौल में हुए इस समारोह में, जॉर्जिया के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, अनेक धर्म गुरु, और बड़ी संख्या में जॉर्जिया के लोग, उपस्थित थे | इस कार्यकम में भारत की प्रशंसा में जो शब्द कहे गए, वो बहुत ही यादगार हैं|”