
कुशीनगर। जिलेभर में नौ दिनों तक माँ जगदंबे की पूजा-अर्चना के बाद गुरुवार और शुक्रवार को श्रद्धालुओं ने दुर्गा प्रतिमा का विसर्जन किया। ढोल-ताशा, डीजे नगाड़ा और जुलूस की शोक्ल में भक्तगण पंडालों से निकलकर मूर्तियों को विसर्जन स्थल तक ले गए। बोलो शेरावाली की जय माँ के जयकारे पूरे जिले में गूंजते रहे।
मूर्ति विसर्जन के दौरान जिले में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए भारी पुलिस बल तैनात रहा। अधिकारी लगातार मूर्ति विसर्जन स्थलों का निरीक्षण करते रहे। जिलेभर में लगभग दो हजार स्थानों पर दुर्गा पंडाल लगाए गए थे, जहां नौ दिनों तक श्रद्धालुओं ने माँ दुर्गा की पूजा-अर्चना के साथ भंडारा और अन्य धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया।
जिला प्रशासन ने विसर्जन से पहले मूर्ति विसर्जन स्थलों का चयन किया और रूट निर्धारित किया था। गुरुवार को सुबह दस बजे के बाद मूर्तियों के रेला के रूप में जुलूस सड़कों पर निकले। लोग नाचते-गाते हुए मूर्ति विसर्जन स्थलों तक पहुँचे और वहां मूर्तियों का विसर्जन किया गया।
इस दौरान डीएम महेन्द्र सिंह तंवर हुल्गी और एसपी केशव कुमार जिले के विभिन्न स्थलों का भ्रमण करते रहे। उन्होंने पुलिस कर्मियों को निर्देश दिए कि किसी भी प्रकार की लापरवाही न हो और कोई अराजकता करने वालों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई की जाए। शुक्रवार देर रात तक सभी मूर्तियों का विसर्जन संपन्न होने के बाद प्रशासन ने राहत की सांस ली।
श्रद्धालुओं ने नम आंखों से माँ दुर्गा को विदा किया। मान्यता है कि नवरात्र में मां दुर्गा, प्रथम पूज्य भगवान श्रीगणेश और भगवान कार्तिकेय के साथ नौ दिनों के लिए मायके आती हैं। ससुराल से मायके आई बेटी की तरह उनका स्वागत किया जाता है और दशहरे के दिन माता अपने ससुराल लौट जाती हैं। इस अवसर पर माता-पिता और स्वजनों के मन में भावुकता और आंखों में आंसू थे, जो मूर्ति विसर्जन यात्रा के दौरान दिखाई दी।
मूर्ति विसर्जन के साथ ही नवरात्र के समापन और दशहरे की तैयारी शुरू हो गई। प्रशासन और पुलिस की सतर्कता के चलते इस बार विसर्जन पूरी तरह सकुशल और शांतिपूर्ण रूप से संपन्न हुआ।