
किरावली। इंसान की तरक्की और आधुनिक मशीनों की ताकत प्रकृति के सामने बौनी साबित हो रही है। आगरा जिले की किरावली तहसील के बाकंदा खास गांव में एक 40 फीट गहरे कुएं में गिरे पांच वर्षीय बालक रेहांश को 24 घंटे से अधिक समय बीत जाने के बाद भी बाहर नहीं निकाला जा सका है। पुलिस, फायर सर्विस, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें अथक प्रयास कर रही हैं, लेकिन प्रकृति की अथाह जलराशि के आगे हर प्रयास और तकनीक बेअसर हैं। बालक के जीवित बचने की उम्मीद टूट चुकी है और अब हर किसी को उसके पार्थिव शरीर के बाहर आने का इंतजार है।
शुक्रवार सुबह हुआ था हादसा, गांव में मातमी सन्नाटा
यह हृदय विदारक हादसा शुक्रवार सुबह करीब 11 बजे हुआ। बाकंदा खास गांव के किसान गोपाल सिंह अपने खेत में आलू की बुवाई कर रहे थे। उसी दौरान उनका पांच-छह साल का बेटा रेहांश खेलते-खेलते खेत तक पहुंच गया। गोपाल सिंह ने अपने बेटे को कुएं की ओर जाते देखा और उसे रोकने के लिए आवाज़ लगाई, लेकिन जब तक वह दौड़कर पहुंचते, रेहांश का पैर फिसल गया और वह करीब 40 फीट गहरे कुएं में गिर गया।
गोपाल सिंह की चीख सुनकर आसपास के खेतों में काम कर रहे लोग और गांव के नौजवान तुरंत घटनास्थल पर पहुंचे। तत्काल राहत कार्य शुरू हुआ, लेकिन कुएं की गहराई और अथाह जलराशि ने गांववालों के शुरुआती सभी प्रयासों को विफल कर दिया।
एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और फायर सर्विस भी नाकाम
सूचना मिलते ही पुलिस और प्रशासनिक अमला मौके पर पहुंचा। फायर सर्विस, एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल) और एसडीआरएफ (राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल) की टीमें भी बुला ली गईं। जवानों ने सीढ़ी और रस्सी के सहारे कुएं में उतरकर बच्चे को तलाशने की कोशिश की, लेकिन जलस्तर और कीचड़ के कारण वे हताश हो गए।
सरकारी एजेंसियों के आने से पहले ही गांव के कई युवा रस्सियों के सहारे कुएं में उतरे थे, पर उन्हें भी कोई सफलता नहीं मिली। बच्चे की तलाश में कई घंटे बीत गए, लेकिन उसका कोई सुराग नहीं मिला।
तीन ट्रैक्टर और दो पंपसेट भी बेबस
पानी खींचने पर दोगुना भर जाता
रेस्क्यू टीम ने अपनी रणनीति बदली और तय किया कि कुएं का पानी खींचकर बच्चे की तलाश की जाए। इसके लिए तीन ट्रैक्टर और दो पंपसेट लगाए गए और कुएं से पानी निकालने का काम शुरू हुआ। उम्मीद थी कि पानी कम होने पर बच्चे तक पहुंचा जा सकेगा, मगर रेस्क्यू टीम और ग्रामीण तब दंग रह गए, जब जितना पानी खींचा गया, उससे दोगुना पानी फिर कुएं में भर आया।
यह कवायद कल दिनभर और देर रात तक चलती रही। कुएं का जलस्तर ज्यों का त्यों बना रहा, जिससे प्रशासन और ग्रामीण दोनों हैरान हैं। कल से आज तक कुएं से इतना पानी खींचा जा चुका है कि आसपास के खेत पानी से लबालब हो गए हैं, लेकिन कुएं का पानी खत्म नहीं हुआ है।
यह कोई साधारण कुआं नहीं, ‘जलदरिया कुआं’ है
गांववालों का कहना है कि यह कोई साधारण कुआं नहीं है, बल्कि इसे ‘जलदरिया कुआं’ कहा जाता है। गांव में चर्चा है कि इस कुएं के पास से ही खारी नदी बहती है, और इसका जलस्रोत उसी से जुड़ा है। यही कारण है कि यह कुआं कभी सूखता नहीं। ‘जलदरिया कुआं’ का अर्थ है, ऐसा कुआं जिसमें दरिया (नदी) जैसी अथाह जलराशि हो।
प्रशासनिक अधिकारी भी इस अद्भुत और प्रचंड जलस्रोत को देखकर अचंभित हैं। कुएं से निरंतर पानी खींचने के बावजूद उसका स्तर कम न होना, बचाव दल के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गया है।
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