लोधेश्वर महादेवा में चला बुलडोज़र अभियान — करोड़ों की अवैध इमारतें जमींदोज़

कोर्ट के आदेश पर प्रशासन की सख्ती से मुक्त हुई सरकारी भूमि

रामनगर (बाराबंकी)।लोधेश्वर महादेवा में रविवार को प्रशासनिक सख्ती का बड़ा नज़ारा देखने को मिला। न्यायालय के आदेश पर तहसील प्रशासन ने लगातार दूसरे दिन अवैध निर्माणों पर बुलडोज़र चलाकर सरकारी भूमि को कब्जामुक्त कराया। करोड़ों की लागत से बने मकान और दुकानें ध्वस्त होने से अतिक्रमणकारियों में हड़कंप मच गया। वहीं, स्थानीय जनता और मंदिर से जुड़े श्रद्धालुओं ने प्रशासन की इस कार्रवाई का स्वागत किया है।

तहसीलदार विपुल कुमार सिंह के नेतृत्व में चलाए गए इस ध्वस्तीकरण अभियान में भारी संख्या में पुलिस बल, लोक निर्माण विभाग (PWD) के अधिकारी और तहसील प्रशासन के कर्मचारी मौजूद रहे। सुबह से ही क्षेत्र में सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए गए थे ताकि किसी अप्रिय घटना की संभावना न रहे। प्रशासन ने पहले से ही अतिक्रमणकारियों को नोटिस जारी कर चेताया था कि यदि उन्होंने स्वयं कब्जा नहीं छोड़ा तो नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।

रविवार को हुई इस कार्रवाई में प्रशासन ने दीन मोहम्मद, रियाज अहमद, आदित्य तिवारी, अनिल तिवारी, वेद प्रकाश तिवारी, हनुमंत प्रसाद अवस्थी, राकेश अवस्थी, राजन और खेमराज जायसवाल के अवैध मकानों और दुकानों पर बुलडोज़र चलाया। इन सभी निर्माणों की कीमत करोड़ों रुपये आंकी जा रही है। यह इमारतें मंदिर परिसर से सटी सरकारी भूमि पर वर्षों से अवैध रूप से खड़ी थीं।

तहसील प्रशासन ने मठ द्वारा बनाए गए अवैध पिलर भी पूरी तरह से तोड़ दिए। प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया कि भविष्य में इस क्षेत्र में कोई भी अवैध निर्माण नहीं किया जा सकेगा और अब “महादेवा कॉरिडोर” परियोजना के लिए भूमि पूरी तरह साफ हो चुकी है।

लोक निर्माण विभाग द्वारा मौके पर मलवा हटाने का काम भी युद्धस्तर पर चल रहा है। अधिकारियों का कहना है कि सोमवार तक पूरा मलबा साफ कर दिया जाएगा ताकि कॉरिडोर निर्माण कार्य शीघ्र प्रारंभ हो सके।

तहसीलदार विपुल कुमार सिंह ने बताया,

“लोधेश्वर महादेवा क्षेत्र में अवैध रूप से कब्जाई गई सरकारी भूमि को पूरी तरह मुक्त करा लिया गया है। यह कार्रवाई न्यायालय के आदेश के अनुपालन में की गई है। अब कॉरिडोर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो गया है, जिससे श्रद्धालुओं को आने वाले समय में सुगमता होगी।”

इस कार्रवाई के दौरान प्रशासन की ओर से किसी भी प्रकार के विरोध या झगड़े की घटना नहीं हुई। पुलिस बल की मौजूदगी के कारण पूरा अभियान शांतिपूर्वक संपन्न हुआ। प्रशासन ने इस दौरान भीड़ को दूर रखने के लिए बैरिकेडिंग कर रखी थी।

स्थानीय नागरिकों ने बताया कि बीते कई वर्षों से मंदिर के आस-पास अतिक्रमण बढ़ता जा रहा था। दुकानों और मकानों के निर्माण के कारण दर्शन मार्ग संकरा हो गया था। हर सोमवार और सावन मास में भारी भीड़ के कारण भक्तों को असुविधा होती थी। अब प्रशासन की कार्रवाई से लोगों में राहत की भावना है।

गौरतलब है कि महादेवा कॉरिडोर योजना का उद्देश्य इस ऐतिहासिक शिवधाम को धार्मिक पर्यटन के केंद्र के रूप में विकसित करना है। सरकार चाहती है कि यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं को काशी कॉरिडोर की तरह सुविधाजनक दर्शन मार्ग, पार्किंग और घाट व्यवस्था मिल सके।

शासकीय अधिवक्ता अमित अवस्थी ने बताया कि इस भूमि पर अवैध कब्जों के खिलाफ न्यायालय में कई याचिकाएं दायर की गई थीं।

“इनमें से कुछ याचिकाकर्ताओं ने अपनी फाइलें वापस ले लीं या फिर पैरवी ही नहीं की। अब जब प्रशासन ने कार्रवाई शुरू की तो वही लोग जनता के बीच लोकप्रियता पाने की कोशिश कर रहे हैं।”

स्थानीय सूत्रों के अनुसार, पिछले कई वर्षों से इस भूमि पर अतिक्रमण कर व्यावसायिक गतिविधियाँ चल रही थीं। कुछ अतिक्रमणकारियों ने तो दुकानों को किराए पर भी दे रखा था। इससे न केवल मंदिर क्षेत्र की गरिमा प्रभावित हो रही थी, बल्कि सरकारी भूमि पर राजस्व हानि भी हो रही थी।

महादेवा कॉरिडोर परियोजना के तहत अब उस क्षेत्र में सुंदर पथ, पार्किंग क्षेत्र, विश्राम स्थल और घाटों के सौंदर्यीकरण का कार्य प्रस्तावित है। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, आने वाले कुछ महीनों में इसका कार्य आरंभ हो सकता है।

क्षेत्रीय नागरिक शंभू तिवारी ने बताया,

“हम लोग वर्षों से मांग कर रहे थे कि मंदिर क्षेत्र से अवैध कब्जे हटाए जाएं। अब प्रशासन ने जो काम किया है, उससे श्रद्धालुओं का रास्ता खुल गया है। महादेवा का असली स्वरूप अब उभर सकेगा।”

वहीं, कुछ स्थानीय व्यापारी जो इस कार्रवाई से प्रभावित हुए हैं, उन्होंने इसे “एकतरफा” बताया, लेकिन प्रशासन का कहना है कि सभी को पहले से नोटिस दिया गया था।

तहसील प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि अब किसी भी प्रकार का नया निर्माण बिना अनुमति के नहीं किया जा सकेगा। भूमि अभिलेख और नक्शों के आधार पर सीमांकन का काम पूरा हो चुका है।

लोक निर्माण विभाग के अधिकारी ने बताया कि,

“सड़क चौड़ीकरण और कॉरिडोर विकास कार्य में अब कोई बाधा नहीं है। हमने ध्वस्तीकरण के बाद स्थल की सफाई शुरू कर दी है ताकि जल्द ही कार्य एजेंसी को साइट सौंपी जा सके।”

प्रशासन की इस निर्णायक कार्रवाई से यह साफ हो गया है कि सरकार की प्राथमिकता अब धार्मिक पर्यटन स्थलों को अवैध कब्जों से मुक्त कर स्वच्छ और व्यवस्थित स्वरूप देना है।