अमर भारती : दिल्ली पुलिस का नाम सुनकर कुछ लोगो का दिल डर जाता है, वही कुछ लोगों के चेहरे पर गर्व दिखाई देता है। दिल्ली पुलिस के सख्त व्यक्तित्व के पीछे एक नरम दिल भी छूपा हुआ हैं, दिल्ली पुलिस नियमित तौर पर रक्तदान कर कई जिंदगीया बचाई है, थाना कोटला मुबारक पुर में तैनात कास्टेबल अमित फौगाट और पराक्रम वैन कमांड़ो आशीष कुमार ऐसे ही दो नाम है जिन्होनें 48 और 77 बार खुन देकर कई जाने बचाई हैं
कास्टेबल अमित फौगाट का कहना है कि
2010 में भर्ती 30 वर्षीय कास्टेबल अमित फौगाट 48 बार रक्तदान कर चुके है, वे पिछले 5 साल से इस नेक काम में लगें हुए है, उनका मानना है कि वह फैसबुक पर अपनी रक्तदान तस्वीरे इसलिए डालते हैं, ताकि बाकी लोग उनसे प्रेरित हो, साथ ही इन्होंनें दिल्ली का वाटसऐप ग्रुप बना रखा है जिसमे 55 लोग जुड़े हुए है।
पराक्रम वैन कंमाडो आशीष कुमार16 साल पहले चंड़ीगढत्र में खुन न मिल पाने के कारण पिता को बेटे की मौत पर रोता देखा तो रक्तदान करने का फैसला किया अभी तक आशीष 77 बार रक्तदान कर चुके है। पराक्रम वैन कंमाडो से प्रेरित होकर अब उनका परिवार भी ये नेक काम नियमित तौर पर करता है। आशीष2012 के दिल्ली पुलिस मे भर्ती है।
दोनों ही पिछले कई सालों से लगातार जरूरतमंद लोगों को खून और प्लेटलेटस देकर उनकी जान बचा रहे हैं। शुरू में दोनों के ही परिवार ने इसका विरोध किया, लेकिन वे नहीं माने और इस काम में डटे रहे। इन्होंने दिल्ली पुलिस का एक वाट्सएप ग्रुप भी बना रखा है, करीब एक साल से चल रहे इस ग्रुप में कांस्टेबल, हेड कांस्टेबल, एसआई से लेकर इंस्पेक्टर रैंक के पुलिसकर्मी सब मिलाकर लगभग 85 फीसदी महकमे के लोग जुड़े हुए हैं, गु्रप का दायरा बढ़ जाने पर उसमें हरियाणा पुलिस, एसपीजी, सीआरपीएफ व सीआईएसएफ के भी कुछ जवान जुड़ चुके हैं। दोनों ही कांस्टेबल का दावा है कि अगर कोई चार-पांच बार ब्लड डोनेट कर दे तो वह कभी रुकने से भी नहीं रुकेगा।
रक्तदान की जानकारी
डॉक्टरो का कहते है कि ब्लड 90 दिन में एक बार दे सकते हैं, इसे देने की प्रक्रिया में करीब आधा घंटा लगता है।
वहीं प्लेटलेट्स के लिए दिए जाने वाले ब्लड को 15 से 20 दिन में एक बार दे सकते हैं। इसमें लगभग 3 से 4 घंटे लगते हैं।
रिपोर्ट जतिन पाण्डेय
यदि आप पत्रकारिता क्षेत्र में रूचि रखते है तो जुड़िए हमारे मीडिया इंस्टीट्यूट से:-