मुरादनगर । अभय जैन ।। क्रान्तिकारी राष्ट्रसंत मुनिश्री तरूण सागर महराज के आशीर्वाद व प्रेरणा से साधना महोदधि अन्तर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी महराज के सानिध्य में तरूणसागरम् तीर्थ पर पंच दिवसीय भगवान महोत्सव का 21 से 25 नवम्बर तक भव्य आयोजन किया जा रहा है।
महोत्सव के दूसरे दिन भगवान का जन्म कल्याणक मनाया गया। डिमापुर के श्री रवि सेठी से मिली जानकारी के अनुसारे आज तीर्थंकर बालक ने माता के गर्भ से जन्म लिया है।
उन्होंने बताया कि दस अवसर पर अन्तर्मना आचार्य 108 श्री प्रसन्न सागर जी महाराज ने जन्म कल्याणक पर बोलते हुए कहा कि आज वह छुपा हुआ व्यक्तिव दुनिया के सामने उजागर हो गया है और सारी दुनिया के समक्ष एक ऐसी चिंगारी लिए बैठ गया है, जो चाहे आकर अपने बुझे हुए दीपक जला ले।
चिंगारी इसलिए कह रहा हूं, कि अभी तीर्थंकर बालक रूप में जन्मे है, अभी तो इनका समय इस सृष्टि को सवारने में, इस सृष्टि के आंसू पोछने में, इस सृष्टि को हरी-भरी बनाने में व्यतीत होगा।
आचार्य श्री ने आगे कहा कि संसार में अनेकों नारियां सौ-सौ पुत्रों को जन्म देती है। अर्थात गंधारी जैसी मां ने भी सौ-सौ पुत्रों को जन्म दिया था, लेकिन वे सौ-सौ पुत्र मिलकर के भी सृष्टि के जीवों का भला नहीं कर पाये, बल्कि इस सृष्टि का संहार किया है।
लेकिन तीर्थंकर की माता एक ही पुत्र को जन्म देती है, फिर भी वह एक ही पुत्र सारी दुनिया के अंधकार को दूर करता हुआ सारी दुनिया का पालन हार होता है।
‘एक चंद्र, तमो हन्ति’ अर्थात दुनिया के अंधकार को मिटाकर शीतलता प्रदान करने के लिये एक ही चंद्रमा काफी है। संख्यात तारागणों की अपेक्षा।
आचार्य श्री ने कहा कि जब तीर्थंकरों का जन्म होता है, उस समय जिन नरकों में निरन्तर मारकाट चलती रहती है, वहां भी उनके पुण्य प्रताप से एक समय के लिए शांति मिलती है।
अंतर्मना आचार्य श्री ने अंत में कहा कि इस प्रकार से आज इस बालक का जन्म हुआ है, वह स्वयं भी अतिशय रूप है और इस वसुंधरा को भी अतिशयकारी बनायेगा।