CBI की वर्दी, WhatsApp कॉल और डर का खेल’: लखनऊ पुलिस ने 75 वर्षीय महिला को डिजिटल अरेस्ट से छुड़ाया, ₹1.5 करोड़ की ठगी नाकाम

‘CBI की वर्दी, WhatsApp कॉल और डर का खेल’: लखनऊ पुलिस ने 75 वर्षीय महिला को डिजिटल अरेस्ट से छुड़ाया, ₹1.5 करोड़ की ठगी नाकाम

लखनऊ। साइबर ठगों के नए ‘डिजिटल अरेस्ट’ हथकंडे का शिकार बनने से एक 75 वर्षीय वरिष्ठ महिला को लखनऊ पुलिस ने समय रहते बचा लिया। खुद को सीबीआई अधिकारी बताकर व्हाट्सएप वीडियो कॉल पर वर्दी और दफ्तर का नज़ारा दिखाने वाले जालसाज महिला को आतंकी फंडिंग के झूठे आरोप में लगातार डरा रहे थे और ₹1.5 करोड़ की ठगी की साजिश रच चुके थे, लेकिन पुलिस की सतर्कता से उनका खेल बिगड़ गया।

मामला थाना विकासनगर क्षेत्र का है। 15 फरवरी 2025 को पुलिस को सूचना मिली कि एक बुजुर्ग महिला को अज्ञात लोग सीबीआई अधिकारी बनकर फोन और व्हाट्सएप कॉल कर रहे हैं। ठगों ने महिला को बताया कि उनके पति स्वर्गीय शिव कुमार शुक्ला के मोबाइल नंबर और आधार कार्ड का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी गतिविधियों में हुआ है। डर और दबाव बनाकर उनसे आधार कार्ड, बैंक डिटेल और एफडी से जुड़ी जानकारियां हासिल कर ली गईं।

साइबर जालसाजों ने व्हाट्सएप वीडियो कॉल पर वर्दीधारी कथित अधिकारियों को दिखाकर महिला का ब्रेनवॉश किया। उन्हें किसी से बात न करने, घर से बाहर न निकलने और बैंक से पैसा निकालकर एक खाते में जमा करने का आदेश दिया गया। इतना ही नहीं, रोजाना कोड सिस्टम के जरिए संपर्क रखकर धमकाया जाता रहा कि किसी को बताने पर गंभीर अंजाम भुगतना होगा।

सूचना मिलते ही थाना विकासनगर पुलिस टीम ने तत्काल कार्रवाई करते हुए बैंक से समन्वय स्थापित किया और महिला को समझाया कि वह साइबर फ्रॉड का शिकार हो रही हैं। पुलिस ने तुरंत 1 करोड़ 21 लाख रुपये की एफडी तुड़वाने की प्रक्रिया रुकवाई और खाते को फ्रीज कराया। जांच में यह भी सामने आया कि महिला के अन्य बैंकों में भी खाते हैं, जिनसे पैसे निकलने का खतरा बना हुआ था।

इसके बाद पुलिस ने ग्रामीण बैंक, आईसीआईसीआई बैंक सहित अन्य बैंकों से संपर्क कर सभी खातों को फ्रीज कराया। समय रहते की गई इस कार्रवाई से करीब ₹1.5 करोड़ की बड़ी साइबर ठगी की घटना होने से पहले ही रोक दी गई। लखनऊ पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि खुद को किसी भी जांच एजेंसी का अधिकारी बताने वाले कॉल या वीडियो कॉल से सावधान रहें और संदेह होने पर तुरंत पुलिस या साइबर हेल्पलाइन को सूचना दें।