लखनऊ विश्वविद्यालय के 68वें दीक्षांत समारोह में पूर्व डीजीपी प्रशांत कुमार को मिली मानद उपाधि

लखनऊ विश्वविद्यालय ने अपने 68वें दीक्षांत समारोह में उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) प्रशांत कुमार को मानद उपाधि (Honoris Causa) से सम्मानित किया। कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल की ओर से अनुमोदित यह उपाधि कुलाधिपति ने स्वयं प्रदान की। इस अवसर पर उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय भी मौजूद रहे।

विश्वविद्यालय ने यह सम्मान उन व्यक्तित्वों को दिया है जिन्होंने समाज और राष्ट्र के प्रति असाधारण योगदान दिया है। 1990 बैच के आईपीएस अधिकारी प्रशांत कुमार का पुलिस सेवा का करियर तीन दशकों से अधिक लंबा रहा है। उन्होंने कानून-व्यवस्था, जनसुरक्षा, आतंकवाद-निरोध और अपराध नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। संगठित अपराध के खिलाफ उनकी सख्त नीति और सक्रिय पुलिसिंग के कारण वे तेज-तर्रार और निर्णायक अधिकारी के रूप में पहचाने गए।

एडीजी (कानून-व्यवस्था) के रूप में प्रशांत कुमार ने एंटी-माफिया टास्क फोर्स का गठन किया और माफियाओं की अवैध संपत्तियों की जब्ती करवाई। उनके प्रयासों से उत्तर प्रदेश ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस रैंकिंग में 14वें से 2वें स्थान पर पहुंचा। महिलाओं की सुरक्षा के क्षेत्र में भी उन्होंने अहम कदम उठाए, जिसके चलते प्रदेश अपराध मामलों में देश में सबसे अधिक दोषसिद्धि दर हासिल कर सका।

डीजीपी के रूप में उन्होंने महाकुंभ 2025 का सुरक्षित आयोजन कराया, जिसमें 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित की गई। लोकसभा चुनाव 2024 को शांतिपूर्ण ढंग से सम्पन्न कराने और “त्रिनेत्रा 2.0” जैसी तकनीकी पहल शुरू करने में उनकी अहम भूमिका रही, जिसे FICCI Smart Policing Award 2025 मिला।

प्रशांत कुमार को गैलेंट्री मेडल (2024), राष्ट्रपति पुलिस पदक (2014) और महाकुंभ मेला पदक (2025) सहित कई पुरस्कार मिल चुके हैं। मुख्यमंत्री और भारत निर्वाचन आयोग ने भी उन्हें कई बार सम्मानित किया।

लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा प्रदान की गई यह मानद उपाधि न केवल उनकी उत्कृष्ट सेवाओं को सम्मानित करती है, बल्कि विद्यार्थियों और शोधार्थियों को उत्कृष्टता, ईमानदारी और समाज सेवा की प्रेरणा भी देती है।