नई दिल्ली: जिस किसान कानून का पंजाब के किसान विरोध कर रहे हैं उसी कानून ने मध्य प्रदेश के होशंगाबाद के किसानों को बड़ी राहत दी. किसानों से अनुबंध के बावजूद फॉर्चून राईस लि. दिल्ली द्वारा धान नही खरीदी जाने के मामले में मध्य प्रदेश के कृषि विभाग द्वारा तत्परतापूर्वक कार्रवाई की गई. नये कृषि कानून “किसान अनुबंध मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम 2020” के प्रावधान अनुसार कार्रवाई की गई है. किसान नए क़ानून के तहत हुई इस कार्रवाई से बहुत खुश हैं.
होशंगाबाद जिले के पिपरिया तहसील के भौखेडी एवं अन्य ग्राम के कृषकों से मंडी के उच्चतम मूल्य पर धान खरीदी करने के लिए माह जून 2020 में फ़ोर्चून राईस लि. कंपनी दिल्ली द्वारा लिखित अनुबंध किया गया था. कंपनी द्वारा शुरू में अनुबंध अनुसार खरीदी की जाती रही लेकिन धान के भाव रूपये 3000 प्रति क्विंटल होने पर 9 दिसम्बर को कंपनी के कर्मचारियों ने खरीदी बंद कर फोन बंद कर लिए.
10 दिसंबर को ग्राम भौखेडी के कृषक पुष्पराज पटेल एवं ब्रजेश पटेल द्वारा एसडीएम पिपरिया को शिकायत की गई. उक्त शिकायत पर जिला प्रशासन द्वारा कृषि विभाग भोपाल से मार्गदर्शन मांगा गया था. कृषि विभाग द्वारा उन्हें कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग एक्ट के धारा 14 के तहत सर्वप्रथम कोंसिलेशन बोर्ड के गठन की कार्यवाही एवं यदि व्यापारी नहीं मानता है तो उसके खिलाफ आदेश पारित करने की सलाह प्रदान की गयी.
धनंजय भदौरिया, कलेक्टर, होशंगाबाद ने बताया कि हमने नए कृषि क़ानून के तहत कंसिलेशन बोर्ड बनाया और कम्पनी को नोटिस भेजा, 24 घंटे के भीतर करवाई कर किसानों को उनका हक दिलाया गया.
मामले में तत्परतापूर्वक कार्रवाई कर न्यायालय अनुविभागीय दंडाधिकारी पिपरिया ने समन जारी कर फॉर्चून राइस लिमिटेड के अधिकृत प्रतिनिधि को 24 घंटे मे समक्ष मे जवाब तलब किया. एसडीएम कोर्ट द्वारा जारी समन पर फॉर्चून राइस लिमिटेड के डायरेक्टर अजय भलोटिया ने जवाब मांगा.
कोंसिलेशन बोर्ड के सामने कंपनी ने 9 दिसंबर के पहले अनुबंध अनुसार उच्चतम दर पर धान क्रय करना स्वीकार किया एवं बाजार मूल्य बढ़ जाने पर खरीदी अनुबंध अनुसार नहीं करने की बात मान ली गयी. बोर्ड में सहमति के आधार पर फॉर्चून राईस लि.कंपनी दिल्ली ने अनुबंधित कृषकों से 2950+50 रू बोनस कुल रूपये 3000 प्रति क्विंटल की दर धान खरीदने हेतु सहमति दिया और न्यायालय अनुविभागीय दंडाधिकारी पिपरिया द्वारा आदेश पारित किया गया.
पिपरिया के किसान पुष्पेश पटेल का कहना है कि पहले कम्पनी अनुबंध के बावजूद ख़रीदी नहीं के रही थी लेकिन अब एसडीएम कोर्ट ने करवाई कर निर्णय सुनाया तो कम्पनी ख़रीदी पर तैयार हैं, हम खुश हैं.
इस प्रकार नये कृषक कानून का प्रयोग करते हुए शिकायत प्राप्त होने के 24 घंटे के अंदर कृषकों को अनुबंध अनुसार उच्चतम बाजार दिलाये जाने की कार्रवाई की गई. उक्त अधिनियम के तहत लिए गए फैसले से किसानों में हर्ष व्याप्त है.
किसानों द्वारा बताया गया कि कंपनी द्वारा कॉन्ट्रैक्ट के बावजूद धान खरीदे नहीं किए जाने से हमें बहुत अधिक आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता. किसान हितैषी नया कृषि कानून हमारे लिए आशा की किरण लेकर आया है. किसानों के हित में लिए गए इस फैसले से अब हम अनुबंध के अनुसार अपनी उपज कंपनी को बेच पाएंगे.