
मैलानी (खीरी)। मैलानी-नानपारा रेलखंड का संचालन एक बार फिर 10 अगस्त तक के लिए बंद कर दिया गया है, जिससे इस मार्ग पर स्थित दो दर्जन से अधिक छोटे-बड़े स्टेशन पूरी तरह से प्रभावित हो गए हैं। ये स्टेशन न केवल आवागमन से कट गए हैं, बल्कि स्थानीय कारोबार और आम जनजीवन पर भी बुरा असर पड़ा है।
यह रेलखंड पहले भी अतरिया के पास ट्रैक के नीचे रिसाव के कारण बंद हुआ था। बताया जाता है कि यह रिसाव शारदा नदी से हुआ था, जिसकी वजह से लाइन ध्वस्त हो गई थी। कई दिनों तक रेल संचालन ठप रहा। बाद में जब मरम्मत के बाद लाइन चालू हुई, तो यात्रियों को बड़ी राहत मिली थी।
मगर हाल के दिनों में अधिक बारिश भी नहीं हुई, फिर भी रेल प्रशासन द्वारा एक बार फिर संचालन को स्थगित कर दिया गया है। क्षेत्रीय नागरिकों का आरोप है कि मामूली तकनीकी कारणों को बहाना बनाकर बार-बार ट्रेनें रोकी जा रही हैं।
स्थानीय समाजसेवियों और कार सेवकों ने भी रेलवे विभाग की मदद कर कई बार अस्थाई सुधार कार्य कराए, बावजूद इसके स्थायी समाधान नहीं हो पाया। लोगों का कहना है कि अधिकारियों के लिए तारीख पर तारीख बदलना आसान है, लेकिन आम जनता को रोज आने-जाने के लिए महंगे निजी साधनों का सहारा लेना पड़ रहा है।
बस, जीप और अन्य निजी परिवहन सेवा संचालक यात्रियों से मनमाना किराया वसूल रहे हैं। ऊपर से समय का भी भरोसा नहीं, जिससे रोज़मर्रा की ज़िंदगी बुरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गई है।
रेल विभाग पर भ्रष्टाचार के भी आरोप लग रहे हैं। लोगों का कहना है कि इस परियोजना में लगभग 22 करोड़ रुपये खर्च किए गए, लेकिन धनराशि का बंदरबांट हुआ और काम आधा-अधूरा छोड़ दिया गया। फाइलों में सबकुछ सही दिखाया गया, लेकिन धरातल पर स्थितियाँ जस की तस बनी हुई हैं।
स्थानीय जनता लगातार सवाल उठा रही है – “आख़िर कब तक चलेगा ये झूठा खेल? क्या रेल संचालन दोबारा कभी सुचारू रूप से शुरू हो पाएगा या सिर्फ़ तारीख़ें बदलती रहेंगी?”
जनता त्राहि-त्राहि कर रही है, मगर ना तो रेलवे विभाग सुन रहा है और ना ही सरकार। अब देखना यह है कि जिम्मेदार कब सुध लेंगे और इस लंबे रेल संकट का स्थायी समाधान कब निकलेगा।