सिंह पर सवार होकर हर रात आती हैं माता शैलानी देवी: बाराबंकी के इस मंदिर का रहस्य और आस्था

रिपोर्ट :डॉ. पंकज चतुर्वेदी

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से सटा बाराबंकी जिला अपनी ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों के लिए जाना जाता है। यहां के गांव-गांव में भक्ति की अनगिनत कहानियां बसी हैं। इन्हीं में से एक कहानी है डल्लूखेड़ा गांव के प्रसिद्ध माता शैलानी देवी मंदिर की। यह केवल एक मंदिर नहीं, बल्कि आस्था, रहस्य और चमत्कार का अद्भुत संगम है।

स्थानीय मान्यता है कि माता शैलानी देवी हर रात सिंह पर सवार होकर स्वयं इस मंदिर में आती हैं। यह विश्वास इतना गहरा है कि रात के समय मंदिर परिसर या उसके आस-पास कोई भी ठहरने की हिम्मत नहीं करता। यही वजह है कि यह स्थान पीढ़ियों से श्रद्धालुओं की भक्ति और आस्था का केंद्र बना हुआ है।


डल्लूखेड़ा गांव का प्रसिद्ध धाम

सतरिख थाना क्षेत्र के डल्लूखेड़ा गांव में स्थित यह मंदिर दूर-दराज तक ख्याति प्राप्त है। यहां केवल बाराबंकी या आसपास के गांवों से ही नहीं, बल्कि लखनऊ, फैजाबाद, सीतापुर, गोंडा और अन्य जिलों से भी लोग माता का आशीर्वाद लेने पहुंचते हैं। नवरात्रि और पूर्णिमा जैसे अवसरों पर तो यहां भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ता है।

ग्रामीणों का कहना है कि यह मंदिर मात्र पूजा का स्थान नहीं बल्कि एक जीवित चमत्कार है। यहां आने वाले भक्त बताते हैं कि मंदिर के वातावरण में ऐसी ऊर्जा और सकारात्मकता है जो मन को अद्भुत शांति देती है।


कुंड का चमत्कार: कभी न सूखने वाला जल

माता शैलानी देवी मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता है यहां स्थित पवित्र कुंड। इसे लोग “आस्था का जलाशय” कहते हैं। मान्यता है कि इस कुंड में स्नान करने के बाद माता के दर्शन करने से भक्त की हर मनोकामना पूरी होती है।

इस कुंड की सबसे रहस्यमयी बात यह है कि इसका जल कभी सूखता नहीं। चाहे गर्मी कितनी भी पड़ जाए या कितनी भी भीड़ उमड़े, कुंड का जलस्तर स्थिर रहता है। भक्त मानते हैं कि यह माता की कृपा है, जबकि विज्ञान इसे प्राकृतिक जलस्रोत का चमत्कार मानता है।

कुंड का जल आगे जाकर पवित्र गोमती नदी से मिलता है। इसके साफ जल में तैरती रंग-बिरंगी मछलियां यहां के वातावरण को और भी दिव्य बना देती हैं।


सिंह पर सवार होकर हर रात आती हैं माता

स्थानीय मान्यता है कि माता शैलानी देवी हर रात सिंह पर सवार होकर इस मंदिर में आती हैं। कई ग्रामीणों का दावा है कि रात के समय मंदिर के आसपास अजीब आवाजें सुनाई देती हैं और वातावरण में अचानक रहस्यमय बदलाव आ जाता है।

लोगों का कहना है कि जो भी व्यक्ति रात में यहां रुकने का साहस करता है, उसे अकल्पनीय अनुभव होते हैं। इसी वजह से अंधेरा होने के बाद कोई भी मंदिर परिसर में नहीं रुकता। आस्था और भय का यह संगम ही इस स्थान को और भी अद्भुत और रहस्यमयी बनाता है।


भक्तों की मन्नतें होती हैं पूरी

मंदिर के पुजारी वासुदेव दास बताते हैं—“जो भी भक्त सच्चे मन से माता की शरण में आता है, उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है।”
भक्त यहां चुनरी चढ़ाकर, नारियल अर्पित कर या धागे से गांठ लगाकर मन्नत मांगते हैं। जब उनकी इच्छा पूरी हो जाती है तो वे घंटा, प्रसाद या अन्य वस्तुएं चढ़ाकर आभार व्यक्त करते हैं।

कई परिवार तो अपने बच्चों का मुंडन संस्कार भी यहीं करवाते हैं। उनका विश्वास है कि माता की कृपा से बच्चा स्वस्थ और लंबी आयु वाला होता है।


नवरात्रि और विशेष आयोजन

नवरात्रि के दिनों में मंदिर परिसर में भक्तों की भीड़ देखते ही बनती है। इस दौरान दिन-रात पूजा-पाठ, भजन-कीर्तन और अनुष्ठान चलते रहते हैं। इसके अलावा हर सोमवार और शुक्रवार को भी विशेष भीड़ रहती है।

यहां की महिलाएं विशेष रूप से पिन्नी और दुरदरइया नामक पूजा-विधि करती हैं। ये परंपराएं पीढ़ियों से चली आ रही हैं और आज भी आस्था का अभिन्न हिस्सा बनी हुई हैं।


भक्तों के अनुभव

मंदिर आने वाले श्रद्धालु बताते हैं कि यहां आकर वे एक अनोखी ऊर्जा का अनुभव करते हैं।
लखनऊ से आए राजेश मिश्रा कहते हैं—“मैं पहली बार यहां सिर्फ मान्यता सुनकर आया था। लेकिन कुंड में स्नान और माता के दर्शन के बाद ऐसा लगा जैसे भीतर से सारा बोझ हल्का हो गया। यह स्थान आत्मा को छू लेने वाला धाम है।”

बाराबंकी की सुमन देवी बताती हैं—“हमारी बेटी की शादी लंबे समय तक तय नहीं हो रही थी। हम हर सोमवार यहां आते और माता से प्रार्थना करते। कुछ ही महीनों में अच्छे रिश्ते की बात बन गई। तभी से हम पूरा परिवार नियमित यहां दर्शन करने आते हैं।”


रहस्य और आस्था का संगम

माता शैलानी देवी मंदिर के साथ जुड़ी कहानियां केवल धार्मिक मान्यता तक सीमित नहीं हैं, बल्कि लोगों की जीवनशैली और सोच का हिस्सा बन चुकी हैं। जहां विज्ञान इस कुंड को प्रकृति का करिश्मा कहता है, वहीं भक्त इसे माता की कृपा मानते हैं।

रात में सिंह पर सवार होकर माता के आने की कथा चाहे रहस्य हो या आस्था, लेकिन यह सच है कि इस विश्वास ने हजारों लोगों को बांध रखा है।


प्रदेशभर में आस्था का प्रवाह

यह मंदिर केवल बाराबंकी ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश में आस्था का केंद्र बन चुका है। नवरात्रि के दौरान यहां की घंटियों की गूंज और मंत्रोच्चार वातावरण को दिव्यता से भर देते हैं। मंदिर की व्यवस्थाओं में स्थानीय ग्रामीण और भक्त मिलकर सहयोग करते हैं, जिससे यह स्थान केवल धार्मिक धाम ही नहीं बल्कि सामाजिक एकता का भी प्रतीक बन गया है।


पीढ़ियों से चल रही परंपरा

माता शैलानी देवी मंदिर की गाथा पीढ़ियों से सुनाई जाती आ रही है। कुंड का कभी न सूखने वाला जल, रात में सिंह पर सवार होकर माता के आने की मान्यता और भक्तों की पूरी होती मन्नतें—ये सभी बातें इस मंदिर को चमत्कारिक और अद्वितीय बनाती हैं।

यहां आने वाला हर भक्त अपने भीतर नई ऊर्जा और विश्वास लेकर लौटता है। यही कारण है कि यह मंदिर पीढ़ियों से श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है और आने वाली पीढ़ियों तक इसकी कथा सुनाई जाती रहेगी।