
लखनऊ।
बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) सुप्रीमो और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने आज लखनऊ में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने रेलवे किराए में बढ़ोतरी को आमजन के खिलाफ बताया और कहा कि यह फैसला संविधान के कल्याणकारी उद्देश्य के विरुद्ध है।
मायावती ने कहा कि जब देश की बड़ी आबादी महंगाई, बेरोजगारी, गरीबी और भूख-प्यास से जूझ रही है, तब रेलवे किराए में बढ़ोतरी जनविरोधी निर्णय है। उन्होंने कहा, “रेल यात्रा अब आमजन की मजबूरी है, न कि आनंद या फैशन। ऐसे में सरकार को सहानुभूतिपूर्ण रवैया अपनाना चाहिए, न कि व्यवसायिक सोच।”
उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि ‘राष्ट्र प्रथम’ के नाम पर GST की तर्ज पर रेल किराए के माध्यम से भी लोगों पर बोझ बढ़ाया जा रहा है। यह परंपरा शोषणकारी और अनुचित है, जिसे तत्काल रोका जाना चाहिए।
बीएसपी प्रमुख ने कहा कि 95 करोड़ से ज्यादा लोग किसी न किसी सरकारी योजना के लाभार्थी बनने को मजबूर हैं, जो इस बात का प्रमाण है कि देश में गरीबी और लाचारी बढ़ी है। उन्होंने ILO (अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन) के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि 2016 में जो संख्या 22% थी, वह अब 2025 में बढ़कर 64.3% हो गई है। मायावती ने सरकार द्वारा इस आंकड़े को “उपलब्धि” बताने पर भी तीखी आपत्ति जताई।
उन्होंने यह भी कहा कि “गरीबों को योजनाओं का थोड़ा सा लाभ लेने के लिए जिस स्तर की भागदौड़ करनी पड़ती है, वह सबको पता है।”
प्रदूषण नियंत्रण के नाम पर गरीबों और मध्यवर्गीय जनता पर अतिरिक्त बोझ डालने, दिल्ली और अन्य शहरों में झुग्गी-झोपड़ियों के जबरन उजाड़े जाने पर भी उन्होंने केंद्र और दिल्ली सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि “यह रवैया पूरी तरह से जनविरोधी है और कोर्ट की आड़ में गरीबों पर अत्याचार किया जा रहा है।”
बिजली संकट, आवश्यक वस्तुओं की महंगाई, और निजीकरण की असफलता को भी मायावती ने सरकार की नीतियों की खामी बताया। उन्होंने कहा कि “आज देश की जनता आमदनी कम और खर्च अधिक की स्थिति में जी रही है, ऐसे में अच्छे दिन की उम्मीद बेमानी लगती है।”
मायावती ने अपनी बात “धन्यवाद, जय भीम, जय भारत” के नारों के साथ समाप्त की और केंद्र सरकार से मांग की कि वह कल्याणकारी सोच को प्राथमिकता दे और जनहित में फैसले ले।