
लखीमपुर खीरी (25 अक्टूबर)। थाना मितौली क्षेत्र के ग्राम अछरौला में 18 अक्टूबर की शाम हुए मारपीट और जानलेवा हमले के मामले में घायल पिता-पुत्र ने पुलिस अधीक्षक से निष्पक्ष जांच और पुनः मेडिकल परीक्षण की मांग की है। पीड़ितों ने पुलिस और डॉक्टर पर आरोप लगाया कि उन्होंने अभियुक्तों से मिलीभगत कर मामला कमजोर किया है।
घायल कमल किशोर और उनके पिता ओम प्रकाश ने बताया कि गांव के ही विनोद पुत्र श्रीराम ने अपने ट्रैक्टर से उनके घर की दीवार में टक्कर मार दी। विरोध करने पर विनोद के साथ उसके परिजन प्रमोद कुमार, डालचन्द्र (पुत्रगण श्रीराम) और विमलेश उर्फ गुंडा पुत्र प्रमोद ने गाली-गलौज करते हुए लाठी-डंडों और बांका से हमला कर दिया।
हमले में ओम प्रकाश के सिर पर गंभीर चोटें आईं, वहीं कमल किशोर के माथे पर भी बांका से वार किया गया। शोर सुनकर ग्रामीण पहुंचे तो आरोपी धमकी देते हुए फरार हो गए। पीड़ित पक्ष ने बताया कि थाना मितौली में रिपोर्ट दर्ज कराने पर पुलिस ने अभियुक्तों से सांठगांठ कर एफआईआर संख्या 333/2025 में सही तथ्यों को शामिल नहीं किया।
पीड़ितों का कहना है कि मितौली सरकारी अस्पताल में मेडिकल कराया गया, परंतु ड्यूटी डॉक्टर ने गंभीर चोटों के बावजूद उन्हें जिला अस्पताल रेफर नहीं किया। आरोप है कि डॉक्टर और पुलिस दोनों ने अभियुक्तों से अवैध धन लेकर रिपोर्ट कमजोर कर दी।
कमल किशोर ने बताया कि घटना की वीडियोग्राफी थाने के एक सिपाही ने की थी, लेकिन उसका उल्लेख एफआईआर में नहीं किया गया। 21 अक्टूबर को उन्होंने एसपी को प्रार्थना पत्र दिया, जिसके बाद 22 अक्टूबर को दो पुलिसकर्मी उनके घर पहुंचे और केवल फोटो लेकर लौट गए। जब उनके पिता की फोटो लेने की बात कही गई, तो उन्होंने मना कर दिया और कहा — “अब दोबारा अफसरों के पास मत जाना।” इस रवैये से पूरा परिवार भयभीत है।
घायल परिवार ने निष्पक्ष जांच, पुनः मेडिकल परीक्षण, सही धाराओं में मुकदमा दर्ज करने तथा लापरवाह पुलिसकर्मियों व डॉक्टर पर कार्रवाई की मांग की है।
सीएचसी प्रभारी मितौली डॉ. देवेंद्र सिंह ने कहा — “पीड़ित के आरोप निराधार हैं, जो चोटें थीं उन्हें रिपोर्ट में दर्शाया गया है।”
वहीं थाना प्रभारी निरीक्षक रविंद्र सोनकर ने बताया — “डॉक्टरी रिपोर्ट के आधार पर ही एफआईआर दर्ज की गई है और उसी के अनुसार धाराएं लगाई गई हैं।”