बुधवार को सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों के वकीलों ने पेश की दलीलें
लखनऊ। बुधवार को जमीन गबन के एक मामले में मुख्तार अंसारी के बेटों अब्बास और उमर के खिलाफ यूपी सरकार की याचिका सुनने से सुप्रीम कोर्ट ने मना कर दिया। यूपी सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने दोनों की गिरफ्तारी पर रोक लगाई थी।
दो साल से बेल तक नहीं मांग रहा मुख्तार
सॉलिसीटर ने कहा कि पूरा मामला फिल्मी साजिश जैसा है। पंजाब में एक केस दर्ज करवाया गया और अब वहां उसे असंवैधानिक तरीके से रखा गया है। पंजाब पुलिस को शिकायत मिली कि किसी अंसारी ने एक व्यापारी को रंगदारी के लिए फोन किया। बिना यूपी की कोर्ट से अनुमति लिए उसे सीधे बांदा जेल से पंजाब ले जाया गया। अगर वाकई मुख्तार ने व्यापारी को फोन किया था तो अब तक चार्जशीट क्यों नहीं हुई। जनवरी 2019 में गिरफ्तारी हुई। 60 दिन बाद वह डिफॉल्ट बेल का अधिकारी था। 2 साल से न पंजाब पुलिस न कार्रवाई कर रही है, न मुख्तार बेल मांग रहा है। यह न्यायिक प्रक्रिया का मजाक है।
तुषार मेहता- मुख्तार अंसारी अपनी सुविधा के हिसाब से कुछ मामलों में पेश भी हुआ है। लेकिन यूपी के वारंट पर कह दिया जाता है कि उसकी तबीयत खराब है। पूरे मामले में मिलीभगत साफ नजर आ रही है।
सुप्रीम कोर्ट को भी कर रहा गुमराह
सॉलिसीटर मुख्तार के खिलाफ लंबित केस का हवाला दिया। इस दौरान उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 2005 से मुख्तार जेल में है। वह वहीं से काम करता रहा है। 2014 में हाईकोर्ट ने कहा था कि निचली अदालतों में भी उसका दबदबा दिखाई देता है। सॉलिसीटर ने कहा की यूपी की कोर्ट के तमाम वारंट की उपेक्षा की गई। कई बार कहा गया कि वह स्वस्थ नहीं है। उसी दौरान वह दिल्ली की कोर्ट में पेश हुआ। मेडिकल सर्टिफिकेट देखिए- कभी लिखा है गला खराब है, कभी लिखा है सीने में दर्द है। मुख्तार सिर्फ यूपी की कोर्ट ही नहीं सुप्रीम कोर्ट को भी गुमराह कर रहा है।
पंजाब के वकील ने आरोपों को नाकारा
बचाव में पंजाब के वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि हमें किसी अपराधी से कोई सहानुभूति नहीं। लेकिन यूपी सरकार की दलील तकनीकी रूप से गलत है। अगर मुख्तार पंजाब में है तो कोर्ट के आदेश से। इसका राज्य सरकार से कोई लेना-देना नहीं। हमारे ऊपर आरोप गलत। इसके बाद कोर्ट उठ गई, सुनवाई आज भी जारी रहेगी।