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मुज्जफरनगर महापंचायत -किसानों के रंग में रंगी बाबा टिकैत की नगरी- Amar Bharti Media Group उत्तर प्रदेश

मुज्जफरनगर महापंचायत -किसानों के रंग में रंगी बाबा टिकैत की नगरी

‘बिल वापसी नहीं, तब तक घर वापसी नहीं ‘- राकेश टिकैत

मुजफ्फरनगर किसान महापंचायत में पहुँची लाखों किसानों की भीड़, आगरा मंडल से भी गए हजारों किसान

मुजफ्फरनगर की महापंचायत में जनसैलाब, हर तरफ किसान ही किसान, देखें तस्वीरें  - Politics AajTak

मुज्जफरनगर। केंद्र सरकार द्वारा लागू तीन कृषि कानूनों के खिलाफ सैकड़ों किसान संयुक्त मोर्चा ओर भारतीय किसान यूनियन टिकैत के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत के नेतृत्व में पिछले कई महीनों से दिल्ली बॉर्डर गाजीपुर पर जमा हैं। रविवार को 9 महीने 10 दिन बाद मुजफ्फरनगर की जमीन पर पहुंचे राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत का किसानों ने फूलों से जोरदार स्वागत किया।

जनरल डायर से की पीएम की तुलना !

बता दे कि 5 सितंबर 2021 रविवार को कृषि बिल ले विरोध में हुई किसान महापंचायत में लाखों की संख्या में देश के कोने कोने से किसान शामिल हुए। जिस तरह से वर्तमान प्रदेश और केंद्र सरकार किसानों को शोषण कर रही है उसको लेकर भी किसानों में आक्रोश किसान महापंचायत में देखने को मिला। किसानों ने जमकर योगी,मोदी, अडानी, अंबानी के विरोध में नारेबाजी की। जिस समय किसानों पर जनरल डायर ने गोलीबारी कर किसानों की निर्मम हत्या की थी ,आज उसी दृश्य को याद करते हुए किसानों ने नरेंद्र मोदी को किसान विरोधी बताया।एक समय जनरल डायर था जिसने किसानों का खून चूसा आज जनरल डायर नरेंद्र मोदी है जो किसानों का खून नहीं बल्कि उन्हें जीते जी मरने के लिए विवश कर रहा है।

किसानों की मौत पर पीएम की चुपी

किसान महापंचायत को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय प्रवक्ता चौ राकेश टिकैत ने वर्तमान सरकारों की किसान विरोधी रीति नीति पर पलटवार करते हुए बताया कि किसानों में बड़ी संख्या में वर्तमान प्रदेश और केंद्र सरकारों के प्रति रोष है। गाजीपुर पर बैठे किसानों को वर्तमान सरकार के मंत्री और विधायकों द्वारा मुट्ठीभर किसान कह करके संबोधित किया जाना आज की मुजफ्फरनगर महापंचायत में व्यक्त करता है कि देश में मुट्ठी भर किसान नहीं बल्कि सरकारों को बनाने और बिगाड़ने वाले किसान है। भारतवर्ष एक कृषि प्रधान और ऋषि प्रधान देश है। कृषि प्रधान देश के अन्नदाता को मुट्ठी भर कहकर वर्तमान सरकार द्वारा संबोधित करना कहीं ना कहीं किसान विरोधी होना सिद्ध करता है। वही शांतिप्रिय आंदोलन कर रहे किसानों में लगभग 600 से ज्यादा किसानों की शहादत हो चुकी है लेकिन आज तक प्रधान चौकीदार का दावा करने वाले प्रधानमंत्री द्वारा एक भी शब्द किसानों के लिए नहीं कहा गया। इसको किसान प्रेम माने या कॉरपोरेट सेक्टर मैं बैठे हुए इनके अजीज अंबानी अडानी का प्रेम माने।

देश का संविधान खतरे में !

मुजफ्फरनगर किसान महापंचायत आंदोलन की आगे की रणनीति तय करेगी। उन्होंने यह भी बताया कि यह आंदोलन सभी के साथ से लड़ा जाना है। वर्तमान सरकारों को धोखेबाज व जालसाजों की सरकार बताते हुए कहा कि वर्तमान सरकार ने रेल, सड़क, समुद्री बंदरगाह, नदियो को, एयरलाइंस, एलआईसी को बेच दिया। सब कुछ बेच दिया। इन सबके खरीदार कोई और नहीं बल्कि अडानी-अम्बानी हैं। FCI के गोदाम अडानी-अम्बानी के कब्जे में है। शिक्षा पर, चिकित्सा पर, किसानों पर संकट छाया हुआ है। वर्तमान सरकार ने तो बाबा भीम राव अमेडकर का संविधान भी खतरे में डाल दिया। वर्तमान सरकार पर आरोप लगाते हुए बताया कि ये देश को बेचने का काम कर रही है।

‘सरकार को देश के अन्नदाता की तनिक भी परवाह नहीं…’

संयुक्त किसान मोर्चा के आव्हान पर हुई किसान महापंचायत में कई अहम बिंदुओं पर फैसले लिए जाने हैं जो आगे आने वाले समय में देश की राजनीतिक पताका का गठन करेगी। किसान महापंचायत में सभी वक्ताओं ने तीनों कृषि काले कानून को वापस करो , एमएसपी पर कानून बने, किसान कल्याण आयोग का गठन हो स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू हो ऐसे प्रमुख बिंदुओं पर खुलकर चर्चा हुई । जहां वर्तमान सरकार किसान हितैषी होने का दावा करती है वहीं आज तक के दौर में इन प्रमुख बिंदुओं की मांग को लेकर के एक भी वक्तव्य प्रधान चौकीदार द्वारा नहीं कहा गया। बही प्रदेश अध्यक्ष उत्तर प्रदेश ठाकुर राजवीर सिंह जादौन ने पंचायत को संबोधित करते हुए बताया कि संगठित किसानों की शक्ति किसान आंदोलन को एक नया आयाम देगी। देश का भाग्य विधाता है ,अन्न दाता लेकिन सरकारों को उसी अन्नदाता की तनिक भी परवाह नहीं है। ऐसी सरकार किसान हितेषी नहीं हो सकती। ऐसी सरकार जो किसानों के हितों को लेकर चिंतित नहीं, ऐसी सरकार की हम घोर निंदा करत है।

इस अवसर पर साथ मे बुद्धा सिंह प्रधान, गजेन्द्र सिंह परिहार, जगदीश परिहार, ललित शर्मा, गजेंद्र गावर, तेज बहादुर सोनी, जगमोहन प्रेम अतुल, राजवीर लवानिया, राधेश्याम शाक्य, कृपाल सिंह फौजदार, तांती राम जादौन, नत्थू सिंह धाकरे सोनवीर, गिर्राज परिहार, सतेंद्र, प्रमोद, छम्मी लाल, तेजपाल तोमर, सत्यदेव, योगेश अस्थाना, ओमकार, मेंबर सिंह,हाकिम सिंह, धीरी सिंह, देवेंद्र सिंह रघुबंशी, चंद्रभान सिंह, राजकुमार, रामबतार, इंद्रपाल काका, ओमवीर , गिल्ला ठाकुर,सत्यदेव, बिजेंद्र लंबरदार, द्रोणाचार्य कुंतल, ओपी कुंतल, घूरे लाल शास्त्री भगवान सिंह नेता, देवेश पाठक , भूपेंद्र उर्फ भूरा प्रधान, देश राज, घूरे लाल शर्मा ,उषा देवी,दिनेश माहौरे,दानिश भाई,बिक्रम यादव,,सकिफ़ भाई ,पवन चतुर्वेदी, मुजाहिद कुरैशी रामबीर पहलवान, मुकेश, अजयवीर, अजय सिंह गावर, अनिल कुंतल,संजय, हरि सिंह,बच्चू सिंह ,रामू तोमर,गोपाल तोमर, रज्जो परिहार,पुष्कर ,बिजेंद्र परिहार,सहित बड़ी संख्या बल में किसान सरदारी मौजूद रही।

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