“नमन-परंपरा कथक की” में झलकी लखनऊ, बनारस और जयपुर घरानों की विरासत

लखनऊ घराने की समृद्ध कथक परंपरा के सुविख्यात कथाकाचार्य पंडित लच्छू महाराज की स्मृति में उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी एवं कथक केंद्र, लखनऊ द्वारा दो दिवसीय पारंपरिक कथक नृत्य कार्यक्रम “नमन- परंपरा कथक की” का आयोजन किया गया। इस बार नमन कार्यक्रम में कथक के पारंपरिक पक्ष को ध्यान में रखकर कार्यक्रम का संयोजन किया गए तथा कथक के तीनों घरानों लखनऊ घराना, बनारस घटना और जयपुर घराना का प्रतिनिधित्व किया गया। इस आयोजन के दूसरे दिन देश के विभिन्न हिस्सों से आये कथक नृत्य के कलाकारों ने अपनी मनमोहक प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि डॉ0 कुम कुम धर, अध्यक्ष, बिरजू महाराज कथक संस्थान, उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी, लखनऊ के अध्यक्ष प्रोफेसर जयंत खोत, उपाध्यक्ष श्रीमती विभा सिंह, प्रोफेसर मांडवी सिंह, कुलपति, भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय एवं उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के निदेशक डॉ. शोभित कुमार नाहर जी द्वारा दीप प्रज्वलन कर किया गया। इसके बाद सभी अतिथियों द्वारा पंडित लच्छू महाराज जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन करते हुए कार्यक्रम का आगाज़ किया गया। मुख्य अतिथि डॉ0 कुम कुम धर का सम्मान प्रो0 जयंत खोत, अध्यक्ष, उ0प्र0 संगीत नाटक अकादमी, विभा सिंह, उपाध्यक्ष, उ0प्र0 संगीत नाटक अकादमी एवं डॉ0 मांडवी सिंह, कुलपति, भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय ने किया।


सबसे पहले इस कार्यक्रम में नृत्य का शुभारंभ कथक केंद्र, लखनऊ की श्रुति शर्मा और सुश्री नीता जोशी के निर्देशन में प्रशिक्षित कलाकारों द्वारा श्री कृष्ण वंदन पर आधारित प्रस्तुति के साथ किया गया, इसके बाद श्रुति शर्मा के निर्देशन में बंदिश बादल गरज नव घोर की प्रस्तुति से कलाकारों ने मन मोह लिया जिसमें संगतकर्ता के रूप में गायन कमलाकांत, तबले पर राजीव शुक्ला एवं पार्थ प्रतिम मुखर्जी, सारंगी पर अर्चना, बाँसुरी पर दीपेंद्र कुंवर और सितार पर नवीन मिश्र जी ने अपना योगदान दिया। वहीं इसके बाद कथक केंद्र, लखनऊ की सुश्री नीता जोशी जी के निर्देशन में तैयार किये गए कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति से सभी दर्शकों का मन मोह लिया। वहीं इस प्रस्तुति में तबले पर राजीव शुक्ला जी ने संगत की।
इसके बाद लखनऊ घराने से जुड़ीं नई दिल्ली से आयीं सुश्री शिंजिनी कुलकर्णी जी ने शिव वंदना एवं लक्ष्य शीर्षक से प्रस्तुति दी और साथ ही लखनऊ घराने की पारंपरिक कथक प्रस्तुति देकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। शिंजिनी कुलकर्णी जी के कथक नृत्य की प्रस्तुति में तबले पर योगेश गंगानी, सारंगी पर गुलाम अली, गायन पर समीउल्लाह और सितार पर नीरज मिश्रा ने संगत की।


इस प्रस्तुति के बाद नई दिल्ली से आये और जयपुर घराने से संबंध रखने वाले श्री राजेंद्र गंगानी ने पारंपरिक शुद्ध नृत्य के साथ-साथ जयपुर घराने की प्राचीन पारंपरिक कथक नृत्य प्रस्तुति से पूरे सदन का माहौल ही मनमोहक बना दिया। इनके साथ संगत में तबले फतेह सिंह गंगानी एवं योगेश गंगानी, गायन पर समीउल्लाह खान, सितार पर नवीन मिश्रा थे।
वहीं इस अति सुंदर प्रस्तुति के बाद वाराणसी से पधारे कलाकार श्री माता प्रसाद मिश्रा एवं रवि शंकर मिश्रा जी की युगल जोड़ी की प्रस्तुतियों ने सभी को तालियाँ बजाने पर मजबूर कर दिया। उनके साथ संगत में तबले पर उदय शंकर मिश्रा, गायन एवं हारमोनियम पर सागर मिश्रा, सितार पर नीरज मिश्रा एवं पखावज पर राम कुमार मिश्रा ने संगत की।