
लखीमपुर खीरी, 22 जुलाई। जवाहर नवोदय विद्यालय मितौली प्रकरण में प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई करते हुए मितौली की उपजिलाधिकारी रेनू मिश्रा और तहसीलदार ज्योति वर्मा को उनके पद से हटा दिया है। यह कार्रवाई छात्रों के आंदोलन और विद्यालय परिसर में बने तनावपूर्ण माहौल के बाद की गई है।
सूत्रों के मुताबिक, रेनू मिश्रा को गोला न्यायिक एसडीएम के पद पर स्थानांतरित किया गया है, जबकि गोला के न्यायिक एसडीएम मधुसूदन गुप्ता को मितौली का नया एसडीएम बनाया गया है। वहीं, तहसीलदार ज्योति वर्मा को पलिया स्थानांतरित किया गया है और मितौली तहसील का चार्ज दोबारा नायब तहसीलदार दिनेश कुमार को सौंपा गया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह तबादले नवोदय विद्यालय के छात्रों के आंदोलन और उससे निपटने की प्रशासनिक शैली को लेकर उठी नाराज़गी के चलते किए गए हैं। हालांकि यह भी सामने आया है कि छात्र आत्मघाती कदम उठाने की चेतावनी दे रहे थे, और स्थानीय प्रशासन ने मौके की गंभीरता को समझते हुए तत्काल दरवाजा तोड़कर प्रवेश न करने का निर्णय लिया था।
एसडीएम रेनू मिश्रा मीटिंग से लौटते ही विद्यालय पहुंचीं और शाम तक छात्रों को समझाने में लगी रहीं। तहसीलदार ज्योति वर्मा पूरे दिन हॉस्टल के बाहर मौजूद रहीं और बच्चों से संवाद करने का प्रयास करती रहीं। बावजूद इसके, इन दोनों अधिकारियों को हटाए जाने से अधिवक्ता संघ और आम जनता में आक्रोश व्याप्त है।
जिलाधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल ने प्रातः 9:00 बजे ही हॉस्टल का दरवाजा तोड़ने के आदेश दिए थे, लेकिन स्थानीय प्रशासन ने मौके की संवेदनशीलता को देखते हुए संयम बरता। छात्रों को शांतिपूर्वक बाहर निकालना एसडीएम की सूझबूझ बताई जा रही है, जिसे अब कुछ लोग ‘गलती की सज़ा’ के रूप में देख रहे हैं।
अधिवक्ताओं और आम जनमानस का कहना है कि एसडीएम रेनू मिश्रा ने जिस संवेदनशीलता और समझदारी से स्थिति को संभाला, उसकी सराहना होनी चाहिए थी, न कि सजा दी जानी चाहिए। लोगों का मानना है कि डीएम को अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए, क्योंकि इस तरह की कार्रवाई से ईमानदार और संवेदनशील अफसरों का मनोबल टूटता है और उपद्रवियों का हौसला बढ़ता है।
फिलहाल विद्यालय में सन्नाटा पसरा है, पुलिस बल तैनात है और जांच टीम का इंतजार किया जा रहा है।