जगद्गुरु निम्बार्काचार्य की 5121वीं जयंती पर महाभिषेक और बधाई गायन

वृन्दावन। कार्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर पर द्वैताद्वैत सिद्धांत के प्रवर्तक जगद्गुरु श्री निम्बार्काचार्य की 5121वीं जयंती तीर्थनगरी वृन्दावन में भक्तिभाव और हर्षोल्लास के साथ मनाई गई। इस अवसर पर जगद्गुरु का महाभिषेक, बधाई गायन और भव्य आरती सहित कई आध्यात्मिक कार्यक्रम आयोजित हुए।

सायंकाल छीपीगली स्थित निम्बार्क कोट में षोडशोपचार विधि से जगद्गुरु श्रीनिम्बार्काचार्य का महाभिषेक मंदिर सेवायत आचार्य वृन्दावन बिहारी, अनिरुद्ध शर्मा लालजी और अंशुमान शर्मा गोपालजी द्वारा किया गया। इसके बाद संत समाज द्वारा परंपरागत बधाई गायन प्रस्तुत किया गया।
ढाढ़ी–ढाढ़िन कलाकारों ने ऋषि अरुण और माता जयंती के लाल भगवान निम्बार्क के जन्म प्रसंग की बधाई गाई, जिसने वातावरण को आध्यात्मिक उत्साह से भर दिया।

महाआरती और प्रसाद वितरण के बाद समारोह का समापन हुआ। आयोजन में गोलोकधाम पीठाधीश्वर गोपालशरण देवाचार्य महाराज, महंत किशोर शरण देवाचार्य, डॉ. राकेश हरिप्रिया, अनन्य शर्मा, विपुल शर्मा, आचार्य रमाशंकर, कुंजबिहारी शर्मा, लल्लन शर्मा सहित अनेक श्रद्धालु शामिल हुए।

वहीं प्रताप बाजार स्थित श्रीजी की बड़ी कुंज में हरिप्रियायुध सुदर्शन चक्रावतार भगवान निम्बार्काचार्य का पंचामृत महाभिषेक वैदिक मंत्रोच्चार के बीच संपन्न हुआ। इसके उपरांत भगवान की भव्य आरती की गई।
कार्यक्रम में किशोर शरण, ब्रजकिशोर त्रिपाठी सहित अनेक भक्त उपस्थित रहे।