अमर भारती : देश में केंद्रीय बजट पेश हो चुका है और इसमें दिल्ली-एनसीआर को प्रदूषण से मुक्त कराने के लिए कोई खास योजना नहीं है। ता दें कि बजट में कुछ इंतजाम किए गए हैं, लेकिन इसमें वाहनों से होने वाले प्रदूषण को घटाने की कोई बड़ी योजना नहीं है और न ही यमुना नदी को पुनर्जीवित करने का विस्तृत खाका।
इसकी बड़ी वजह भाजपा का विजन डाक्यूमेंट था, जिसमें प्रदूषण की समस्या के समाधान को अहमियत दी गई थी। फिर दिल्ली समेत देश के 14 शहर दुनिया के सबसे प्रदूषित 15 शहरों की लिस्ट में शामिल हैं। इसके साथ ही जल प्रदूषण बड़ी समस्या है। देश की ज्यादातर नदियां प्रदूषित हैं। विशेषज्ञ मान रहे थे कि ऐसी हालत में सरकार प्रदूषण को दूर करने की ठोस योजना बजट में लेकर आएगी।
सीएसई की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रायचौधरी बताती हैं कि बजट में क्षेत्र विशेष के लिए कुछ ऐसे प्रावधान हैं, जिससे प्रदूषण में कमी लाई जा सकती है। मसलन, ई-वाहन को बढ़ावा देने की योजना है। आरआरटीएस जैसे तीव्रगामी परिवहन के साधनों पर भी काम होना है। इसके साथ उज्जवला योजना से जीवाश्म ईंधन का इस्तेमाल रुकेगा।
लेकिन दिल्ली-एनसीआर का प्रदूषण जिस स्तर तक पहुंच गया है, इससे बड़े स्तर की कार्ययोजना जरूरी है। इस लिहाज से बजट उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा सका है। दूसरी तरफ टेरी के अर्थ साइंस एंड क्लाइमेट चेंज प्रोग्राम के डायरेक्टर सुमित शर्मा बताते हैं कि ई-वाहन को प्रोत्साहित करना सकारात्मक कदम है, लेकिन यह समझना होगा कि यह अभी शुरुआती स्तर पर है। फिर, दिल्ली-एनसीआर के वायु प्रदूषण में वाहन से होने वाले प्रदूषण सर्दियों में 28 फीसदी व गर्मियों में 17 फीसदी रहता है।
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