
देश में परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग, इसके सुरक्षित आयामों और विज्ञान आधारित भविष्य के निर्माण की ओर युवाओं को प्रेरित करने के उद्देश्य से इंडियन न्यूक्लियर सोसाइटी (आईएनएस), मुंबई द्वारा लखनऊ में 26 से 28 नवंबर 2025 तक विशेष जन-जागरूकता व्याख्यान कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। यह तीन दिवसीय आयोजन राजधानी के विद्यार्थियों को परमाणु विज्ञान और प्रौद्योगिकी की आधुनिक उपयोगिताओं से अवगत कराने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है। कार्यक्रम का उद्देश्य केवल तकनीकी जानकारी प्रदान करना नहीं, बल्कि नए भारत की ऊर्जा सुरक्षा, कृषि, स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में परमाणु तकनीक की बढ़ती भूमिका को छात्रों के सामने सरल और वैज्ञानिक भाषा में प्रस्तुत करना है।
आईएनएस के वरिष्ठ वैज्ञानिकों की टीम, जो देश के प्रमुख परमाणु संस्थानों—बीएआरसी, एनपीसीआईएल और ब्रिट—से लंबे समय तक जुड़े रहे हैं, इस दौरान सीधे विद्यार्थियों से संवाद स्थापित करेगी। मुंबई से लखनऊ पहुंचे विशिष्ट वैज्ञानिकों में बीएआरसी के पूर्व सह निदेशक एवं विशिष्ट वैज्ञानिक डॉ. ऋषिकेश मिश्रा, एनपीसीआईएल के पूर्व सह निदेशक एवं उत्कृष्ट वैज्ञानिक ए.के. सिन्हा, ब्रिट की पूर्व वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. योजना सिंह और वर्तमान में एनपीसीआईएल मुंबई में उप महाप्रबंधक (एचआर-एस) अमृतेश श्रीवास्तव शामिल हैं। इनके साथ बीएआरसी में कार्यरत वैज्ञानिक अधिकारी/एफ विकास कुमार, कार्यक्रम के कोऑर्डिनेटर और आईएनएस के ट्रेजरर ओ.पी. राय तथा लखनऊ स्थित डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग की प्रमुख डॉ. सत्यवती देसवाल भी उपस्थित रहेंगे।
इन सभी विशेषज्ञों का साझा लक्ष्य—परमाणु विज्ञान को लेकर व्याप्त मिथकों को दूर करना, वैज्ञानिक तथ्यों को सरल रूप में समझाना और विद्यार्थियों को भविष्य की तकनीकों की ओर प्रेरित करना है। कार्यक्रम के दौरान विशेषज्ञ ऊर्जा उत्पादन के अलावा कृषि, स्वास्थ्य, उद्योग और खाद्य संरक्षण जैसे उन क्षेत्रों में परमाणु तकनीक की महत्ता पर प्रकाश डालेंगे, जहां इसका प्रभाव व्यापक रूप से दिखाई देता है, लेकिन आम लोग इसकी जानकारी से अभी भी दूर हैं।
आईएनएस का मानना है कि भारत जैसे विशाल और विकासशील देश को ऊर्जा सुरक्षा की दिशा में निरंतर प्रगति के लिए स्वच्छ, सुरक्षित और स्थायी विकल्पों की आवश्यकता है। इसी संदर्भ में परमाणु ऊर्जा को सस्ती, प्रदूषणरहित और दीर्घकालिक समाधान के रूप में वैश्विक स्तर पर स्वीकार किया जा रहा है। भारत भी इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है और आने वाले वर्षों में परमाणु ऊर्जा कुल विद्युत उत्पादन में महत्वपूर्ण हिस्सेदारी निभाएगी। इस कार्यक्रम में विद्यार्थियों को यह भी बताया जाएगा कि परमाणु ऊर्जा संयंत्र किस प्रकार अत्याधुनिक सुरक्षा व्यवस्थाओं से लैस होते हैं और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप संचालित होते हैं।
तीन दिवसीय जागरूकता कार्यक्रम शहर के तीन प्रमुख संस्थानों—शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय, एसआर ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन्स और पायनियर मॉन्टेसरी स्कूल, एल्डिको-1—में क्रमशः आयोजित किया जाएगा। इन संस्थानों के विद्यार्थियों व शिक्षकों की भागीदारी के माध्यम से वैज्ञानिक सोच को मजबूत करने, अनुसंधान के प्रति जिज्ञासा जगाने और विज्ञान आधारित करियर की ओर युवाओं को आकर्षित करने का लक्ष्य रखा गया है। कई विद्यार्थियों के लिए यह अवसर पहली बार होगा जब उन्हें सीधे ऐसे परमाणु वैज्ञानिकों से रूबरू होने का मौका मिलेगा, जिन्होंने देश के महत्वपूर्ण वैज्ञानिक प्रतिष्ठानों में दशकों तक सेवा दी है।
लखनऊ प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान विशेषज्ञों ने कहा कि परमाणु विज्ञान केवल बिजली उत्पादन तक सीमित नहीं है। चिकित्सा क्षेत्र में कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के निदान और उपचार में न्यूक्लियर मेडिसिन की भूमिका लगातार बढ़ रही है। इसी तरह कृषि में म्यूटेशन ब्रिडिंग तकनीक के माध्यम से नई किस्मों का विकास, कीट नियंत्रण और खाद्य संरक्षण में रेडिएशन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल देश की खाद्य सुरक्षा को मजबूती प्रदान कर रहा है। बीजों की गुणवत्ता, उपज में वृद्धि और कटाई के बाद खाद्य पदार्थों की ताजगी बनाए रखने में भी परमाणु तकनीक उपयोगी साबित हो रही है।
डॉ. सत्यवती देसवाल ने बताया कि रेडियोआइसोटोप आधारित तकनीक के कारण आज कई जटिल चिकित्सकीय परीक्षण संभव हो पाए हैं, जिनसे रोगों का शीघ्र निदान और बेहतर उपचार संभव है। वहीं डॉ. मिश्रा और ए.के. सिन्हा ने कहा कि भारत में परमाणु बिजली संयंत्रों की सुरक्षा प्रणाली दुनिया के सबसे उन्नत और विश्वसनीय ढाँचों में से एक है, जिन्हें लगातार अपग्रेड किया जाता है। वैज्ञानिकों ने कहा कि परमाणु ऊर्जा को लेकर भय, भ्रांतियां और गलतफहमियां दूर करना बहुत आवश्यक है, ताकि भावी पीढ़ी विज्ञान के प्रति सकारात्मक और तथ्य आधारित दृष्टिकोण विकसित कर सके।
इस कार्यक्रम के आयोजक ओ.पी. राय ने कहा कि विज्ञान को समाज के करीब लाने और युवाओं में वैज्ञानिक चेतना जगाने के लिए ऐसे प्रयास समय-समय पर होते रहना चाहिए। उनका कहना है कि जब विद्यार्थी वैज्ञानिकों के वास्तविक अनुभव सुनते हैं, तब उन्हें विज्ञान की वास्तविक उपयोगिता और कार्यप्रणाली समझ आती है। इससे उनमें शोध, नवाचार और तकनीकी उन्नति की दिशा में आगे बढ़ने का उत्साह बढ़ता है।
आईएनएस के इस कार्यक्रम से लखनऊ के विद्यार्थियों को न केवल वैज्ञानिक जानकारी मिलेगी, बल्कि भारत की ऊर्जा रणनीति, तकनीकी उन्नति और शोध आधारित विकास मॉडल को समझने का अवसर भी मिलेगा। तीन दिन तक चलने वाला यह कार्यक्रम विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनने के साथ-साथ विज्ञान आधारित भविष्य की मजबूत नींव रखने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।