
लखीमपुर खीरी। कस्बा कस्ता समिति पर संचालित सरकारी धान क्रय केंद्र पैक्स कस्ता में धान खरीद को लेकर बड़े पैमाने पर धांधली के गंभीर आरोप सामने आए हैं। आरोप है कि केंद्र पर वास्तविक धान आए बिना ही कागजों में खरीद दर्शाकर लाखों रुपये का घोटाला किया जा रहा है। यदि जिला प्रशासन प्रतिदिन खरीदे गए धान और केंद्र पर मौजूद वास्तविक स्टॉक का मिलान कराए तो बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर हो सकता है।
सूत्रों के अनुसार क्रय केंद्र प्रभारी हसीब, समिति सचिव सलीम, एडीओ कोऑपरेटिव, एआर कोऑपरेटिव तथा डिप्टी आरएमओ की मिलीभगत से यह खेल लंबे समय से चल रहा है। आरोप है कि केंद्र प्रभारी की गैरमौजूदगी में इंद्रेश नामक व्यक्ति केंद्र का संचालन कर रहा है। 24 दिसंबर 2025 को शाम करीब 4:30 बजे क्रय केंद्र पर सचिव सलीम का पुत्र धान खरीद करता हुआ पाया गया, जबकि केंद्र प्रभारी मौके पर मौजूद नहीं थे।
जब इस संबंध में सचिव सलीम से फोन पर जानकारी ली गई तो उन्होंने बताया कि केंद्र प्रभारी को खरीद की जानकारी नहीं है और पूरा काम उनके द्वारा देखा जा रहा है। यह भी बताया गया कि कस्ता का यह केंद्र इंद्रेश और उसके एक अन्य साथी द्वारा चलाया जा रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि जब सारा कार्य सचिव और उसके परिजन कर रहे हैं तो केंद्र प्रभारी की भूमिका महज नाम मात्र की क्यों है।
किसानों का आरोप है कि अधिकांश किसानों का धान तौला ही नहीं गया। केवल 10-12 रसूखदार किसानों का धान केंद्र पर तौला गया, जबकि शेष खरीद मिल मालिकों, आढ़तियों और बिचौलियों के माध्यम से कागजों में दर्शाई गई। किसानों के फर्जी अंगूठा निशान और हस्ताक्षर बनवाकर धान खरीद दिखाई गई, जबकि केंद्र पर धान का नामोनिशान तक नहीं था। किसानों का कहना है कि क्रय केंद्र पर धान नहीं, बल्कि अंगूठा बेचा जा रहा है।
ग्रामीणों का आरोप है कि धान की तौल राइस मिलों और आढ़तियों के यहां की जा रही है, जबकि क्रय केंद्र पर सन्नाटा पसरा रहता है, लेकिन कागजों में रोजाना खरीद दिखाई जाती है। यदि खरीद रजिस्टर में दर्ज आंकड़ों का केंद्र पर मौजूद स्टॉक से मिलान कराया जाए तो लाखों रुपये के घोटाले का खुलासा हो सकता है।
मामले को लेकर किसानों और पत्रकारों द्वारा मुख्यमंत्री पोर्टल, जिलाधिकारी लखीमपुर खीरी तथा आरएमओ लखनऊ को शिकायत भेजकर निष्पक्ष जांच की मांग की गई है। साथ ही मांग की गई है कि खरीद रजिस्टर में दर्ज किसानों, उनके कुल रकबे और धान उत्पादन की भी जांच कराई जाए। सूचना अधिकार अधिनियम के तहत अक्टूबर से 24 दिसंबर 2025 तक की तिथि वार धान खरीद, किसानों का विवरण, खरीदे गए धान की मात्रा और स्टॉक किए गए स्थान की जानकारी भी मांगी गई है। किसानों का कहना है कि आरटीआई से जानकारी सामने आने के बाद धान खरीद में हुई धांधली पूरी तरह उजागर होगी और कई चेहरे बेनकाब होंगे।