
📍अमर भारती संवाददाता, पलियाकलां-खीरी।
अनुसूचित जनजाति छात्राओं के लिए पलिया में निर्मित छात्रावास का हाल अभी से बेहाल है। भवन पूरी तरह शुरू भी नहीं हो पाया है, लेकिन उसकी स्थिति जर्जरता की ओर बढ़ रही है। परिसर में जगह-जगह घास उग आई है, चारों ओर गंदगी फैली है और साफ-सफाई की कोई नियमित व्यवस्था नहीं की जा रही।
फिलहाल छात्रावास में छात्राओं का आवास प्रारंभ नहीं हुआ है। देखरेख की जिम्मेदारी चौकीदार सुरेश कुमार के पास है, जिन्होंने बताया कि वे अपने खर्चे से सफाई का इंतजाम करते हैं।

“विभाग से सफाई के लिए कोई पैसा नहीं मिलता, झाड़ू तक खुद खरीदनी पड़ती है,”
उन्होंने कहा।
सुरेश कुमार ने बताया कि परिसर की घास खत्म करने के लिए वे कई बार अपने पैसों से राउंडअप तक डाल चुके हैं, जबकि उन्हें मात्र ₹10,000 मासिक वेतन मिलता है। उन्होंने कहा कि इतने वेतन में परिवार चलाना भी मुश्किल है, ऐसे में सफाई की जिम्मेदारी उठाना संभव नहीं।
इस संबंध में जब परियोजना अधिकारी यू.के. सिंह से बात की गई, तो उन्होंने बताया कि छात्रावास का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है और अब छात्राओं के आवास की प्रक्रिया शुरू की जा रही है।
उन्होंने बताया कि छात्रावास अधीक्षक और क्लर्क की नियुक्तियां अधीनस्थ चयन सेवा आयोग के माध्यम से की जा रही हैं। अधियाचन भेजा जा चुका है और भर्ती प्रक्रिया जारी है।
“यह छात्राओं का छात्रावास है, इसलिए नियुक्ति पूर्ण होने के बाद ही इसे औपचारिक रूप से शुरू किया जाएगा,”
परियोजना अधिकारी ने कहा।
साफ-सफाई के प्रश्न पर उन्होंने आश्वासन दिया कि झाड़ू और सफाई की व्यवस्था जल्द करा दी जाएगी। साथ ही कहा कि छात्रावास पलिया नगर पालिका क्षेत्र में आता है, इसलिए पालिका प्रशासन से भी परिसर की सफाई और सड़क पर झाड़ू लगवाने के लिए कहा जाएगा।
फिलहाल, सरकारी योजनाओं के दावों और जमीनी हकीकत के बीच पलिया का यह नव-निर्मित छात्रावास प्रशासनिक लापरवाही और उपेक्षा की भेंट चढ़ता दिख रहा है।