पवित्र स्थानों पर जाने से मनुष्य होता है पापमुक्त – शिव महापुराण कथा का तीसरा दिवस

कुशीनगर। पडरौना नगर के श्री पिंजरापोल गौशाला में चल रहे नौ दिवसीय श्री शिव महापुराण कथा के तीसरे दिन गुरुवार को वृंदावन से पधारे कथावाचक प्रद्युम्न कृष्ण महाराज ने भक्तों को बताया कि पवित्र स्थानों की यात्रा केवल दर्शन भर नहीं, बल्कि आत्म-शुद्धि, ज्ञान-वृद्धि और ईश्वर के साक्षात् अनुभव का माध्यम है। उन्होंने कहा कि तीर्थ यात्रा मनुष्य को पापों से मुक्ति, मन की शांति, आध्यात्मिक उन्नति और जीवन के गूढ़ रहस्यों की समझ प्रदान करती है।

कथावाचक प्रद्युम्न कृष्ण महाराज ने व्यास गद्दी से कथा का विस्तार करते हुए कहा कि तीर्थ यात्रा वास्तव में एक तपस्या है, जो मनुष्य को ईश्वर के निकट ले जाती है और जीवन के चार प्रमुख लक्ष्यों—धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष—को साधने में सहायक होती है। उन्होंने श्रद्धालुओं को तामसिक भोजन, मांस-मदिरा आदि से दूर रहने तथा पवित्रता और ब्रह्मचर्य का पालन करने की प्रेरणा दी।

कथा के दौरान उन्होंने बताया कि ब्रह्मा जी की उत्पत्ति भगवान विष्णु की नाभि से निकले कमल से हुई, इसी कारण उन्हें ‘स्वयंभू’ और ‘पद्मयोनि’ कहा जाता है। शिवपुराण के अनुसार सदाशिव और शक्ति ने अपने दाहिने अंग से ब्रह्मा को उत्पन्न किया और उन्हें विष्णु की नाभि में स्थित कमल में स्थापित किया।
अर्धनारीश्वर रूप की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि यह भगवान शिव और देवी पार्वती का संयुक्त स्वरूप है, जो सृष्टि में पुरुष और स्त्री ऊर्जा के सामंजस्य और निरंतरता का प्रतीक है। यह रूप ब्रह्मा जी की तपस्या के दौरान प्रकट हुआ, जिससे सृष्टि में नर–नारी की उत्पत्ति का रहस्य समझाया गया।

कथा में शिव कैलाश परिवार के कुलदीप, राजकुमार, श्यामू, विक्की, अमन, मनीष, सुमित, शिव शंकर सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। श्री पिंजरापोल गौशाला के अध्यक्ष सावर गोयल, मंत्री अखिलेश गोयल, प्रदीप बका, श्याम बिहारी बगारिया, नोबल अग्रवाल तथा अन्य गणमान्य नागरिकों ने कथा में सहभागिता निभाई।