प्रसव पीड़ा में महिला से वसूली की मांग, पैसा न देने पर जिला अस्पताल रेफर

जौनपुर। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र करंजाकला पर लापरवाही और भ्रष्टाचार का खेल चरम पर है। सोमवार की रात करंजाकला ब्लॉक के सुल्तानपुर गौर गांव की रहने वाली सरोज बनवासी इस अनियमितता का शिकार बनीं।

जानकारी के अनुसार, प्रसव पीड़ा बढ़ने पर परिजनों ने आशा कार्यकर्ता सुमन पांडे को सूचना दी और एंबुलेंस से महिला को पीएचसी करंजाकला लाया गया। आरोप है कि रातभर महिला को बिना इलाज के लेबर रूम में रखा गया। सुबह जब ड्यूटी पर स्टाफ नर्स स्वर्णिमा सिंह पहुंचीं तो उन्होंने भी कोई इलाज नहीं किया। इसके बाद खून की जांच के नाम पर सैंपल बाहर भेजा गया।

परिजनों का आरोप है कि स्टाफ नर्स ने प्रसव कराने के नाम पर ₹2000 की मांग की। गरीब परिवार असमर्थता जताने लगा तो दबाव बनाया गया कि बिना पैसे प्रसव नहीं होगा। पैसा न देने पर खून की कमी का हवाला देते हुए महिला को जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया।

इसी दौरान परिजनों ने हंगामा किया तो मामला बिगड़ गया। हंगामे में पुरुष नर्स अमित राय और आशा कार्यकर्ता के बेटे के बीच हाथापाई की नौबत आ गई। सूचना पर 112 पुलिस मौके पर पहुंची और मामला शांत कराया।

भकुरा गांव की राधा प्रजापति ने भी आरोप लगाया कि उससे प्रसव के नाम पर ₹1000 वसूले गए थे। आशा कार्यकर्ता सुमन पांडे ने खुलासा किया कि करंजाकला पीएचसी में हर प्रसव के लिए ₹1500–₹2000 अनिवार्य रूप से वसूले जाते हैं और बिना पैसे कोई डिलीवरी नहीं होती। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पुरुष नर्स अमित राय शराब के नशे में लेबर रूम में मौजूद रहते हैं।

हालांकि, नर्स स्वर्णिमा सिंह ने सभी आरोपों से इनकार किया। उन्होंने कहा कि सरोज बनवासी को खून की कमी और वजन कम होने की वजह से जिला अस्पताल भेजा गया। वहीं नर्स अमित राय ने शराब पीकर काम करने के आरोप को निराधार बताया।

जांच के आदेश
इस पूरे मामले पर चिकित्सा प्रभारी डॉ. संतोष जायसवाल ने स्वीकार किया कि पैसे लेने की शिकायत मिली है। उन्होंने कहा कि लिखित बयान दर्ज किए गए हैं और जांच कराई जाएगी। दोषी पाए जाने पर कार्रवाई तय है। थाना प्रभारी जयप्रकाश यादव ने बताया कि 112 नंबर पर सूचना जरूर मिली थी, लेकिन थाने पर अब तक कोई लिखित तहरीर नहीं आई है।


प्रसव के लिए जरूरी सामान नदारद, बाहर से मंगवाए गए ग्लव्स-ब्लेड

सरकार की तमाम योजनाओं और मातृ-शिशु सुरक्षा के दावों के बावजूद पीएचसी करंजाकला की स्थिति बेहद चौंकाने वाली है। अस्पताल में प्रसव कराने के लिए जरूरी सामान तक उपलब्ध नहीं है।

सोमवार को सरोज बनवासी को जब अस्पताल लाया गया तो परिजनों को स्टाफ ने साफ कहा कि प्रसव के लिए जरूरी ग्लव्स, ब्लेड और दवाएं बाहर से खरीदनी होंगी।

स्टाफ नर्स स्वर्णिमा सिंह ने खुद स्वीकार किया कि अस्पताल में प्रसव के लिए बुनियादी उपकरण और दवाएं उपलब्ध नहीं हैं और मरीजों को इन्हें बाहर से खरीदना पड़ता है।

इस खुलासे से सरकार की योजनाओं और मातृ-शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रम की पोल खुल गई है।