
मितौली, खीरी। थाना मितौली क्षेत्र के ग्राम पंचायत टेड़वा में दबंगई का एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। गांव के ही एक व्यक्ति द्वारा रास्ते पर बैरिकेडिंग कर आमजन का आवागमन पूरी तरह बाधित कर दिया गया, जिसकी सूचना पीड़ित शिव कुमार ने थाना प्रभारी शिवाजी दुबे को लिखित प्रार्थना पत्र देकर दी थी।
पुलिस ने एक दिन के लिए बैरिकेडिंग तो हटवाई, लेकिन दबंग के दबाव में आकर या किसी “इशारे” पर पुनः रास्ता बंद करवा दिया गया। यही नहीं, पिपरझला चौकी प्रभारी मनोज कुमार ने थाना प्रभारी को गुमराह करते हुए उल्टा दोनों पक्षों पर शांति भंग में चालान कर दिया, जबकि मुख्य मुद्दा रास्ता खुलवाने का था, जो अब तक नहीं खुल पाया है।
दबंग बेलगाम, पुलिस मूकदर्शक: क्या महिला का मामला बहाना?
जब इस संबंध में चौकी प्रभारी मनोज कुमार से सवाल किया गया तो उनका जवाब चौंकाने वाला था – “महिला पुलिस नहीं है, मामला महिला से जुड़ा है, हम क्या कर सकते हैं।”
इस जवाब ने पूरे मामले को और उलझा दिया है। क्या पुलिस अब महिला पुलिस की गैरमौजूदगी में कानून व्यवस्था से मुंह मोड़ सकती है?
ज्ञात हो कि तहसील प्रशासन भी इस बैरिकेडिंग वाले रास्ते का निरीक्षण कर चुका है, इसके बावजूद दबंगों पर कोई असर नहीं हुआ। आम चर्चा है कि अगर आप प्रधान के पक्ष में हैं तो कुछ भी कर सकते हैं, लेकिन अगर विरोध में हैं, तो पुलिसिया कार्रवाई झेलना तय है।
प्रभारी निरीक्षक बोले: लौटकर करेंगे समाधान
इस प्रकरण में संपर्क करने पर थाना मितौली प्रभारी निरीक्षक शिवाजी दुबे ने बताया कि वे वर्तमान में गोला गोकर्णनाथ मेले में हैं, मेला समापन के बाद लौटकर मामले को खुद संज्ञान में लेकर समाधान कराएंगे।
गांव के लोग अब सवाल उठा रहे हैं कि क्या पुलिस किसी बड़ी घटना का इंतजार कर रही है? क्या दबंगों के आगे कानून कमजोर है? और क्या प्रशासनिक निर्देश केवल कागजों तक ही सीमित रह गए हैं?