
बाराबंकी, 25 सितम्बर 2025। विकासखंड बंकी और देवा में पीएम श्री विद्यालयों में अध्ययनरत विशिष्ट आवश्यकता वाले दिव्यांग बच्चों के लिए मेडिकल एसेसमेंट कैंप आयोजित किया गया। इस कैम्प का संचालन खंड शिक्षा अधिकारी बंकी चंद्र शेखर और जिला समन्वयक समेकित शिक्षा सुधा जायसवाल के निर्देशन में किया गया।
कैंप में सीएमओ कार्यालय द्वारा गठित चिकित्सीय टीम—डा. अफसर खान, डा. संजय बाबू, डा. सौरभ मिश्रा, डा. विनोद पाल (मनोचिकित्सक)—ने विकासखंड बंकी, सिरौली, गौसपुर, हरख, देवां और मसौली के 28 बच्चों का परीक्षण किया। इसमें से 26 बच्चों को दिव्यांग प्रमाण पत्र निर्गत किए गए।
ब्लॉक देवा में आयोजित कैम्प में विकासखंड देवा से 1, फतेहपुर से 4, सूरतगंज से 4 और निंदूरा से 6 बच्चों का चिकित्सकीय परीक्षण किया गया। इस परीक्षण के आधार पर 10 बच्चों को प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। साथ ही, दिव्यांग बच्चों के अभिभावकों की द्वितीय काउंसलिंग भी आयोजित की गई, जिसमें उन्हें दिव्यांग प्रणाम पत्र की उपयोगिता, ब्रेल किट, लोविजन किट, हियरिंग एड, एस्कॉर्ट सुविधा, स्टाइपेंड और सहायक उपकरणों के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई।
इस अवसर पर स्पेशल एजुकेटर राज नारायण, नीरज मिश्रा, निर्मल कुमार, कीर्ति श्रीवास्तव, कमलेश कुमार, अरविन्द मिश्रा, अर्चना देवी, रेखा सिंह, नीरज मिश्रा, गीता कनौजिया, शंभू दयाल और पूर्णिमा मिश्रा ने आयोजन में सहयोग प्रदान किया।
जिला समन्वयक सुधा जायसवाल ने कहा कि इस प्रकार के मेडिकल एसेसमेंट कैम्प बच्चों के शैक्षणिक और सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने अभिभावकों को निर्देश दिया कि वे बच्चों के लिए उपलब्ध सरकारी योजनाओं और सहायक उपकरणों का अधिक से अधिक उपयोग करें।
खंड शिक्षा अधिकारी चंद्र शेखर ने बताया कि इस पहल से न केवल दिव्यांग बच्चों की चिकित्सकीय जरूरतों को समझा जा रहा है, बल्कि उन्हें शिक्षा और जीवन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए आवश्यक मार्गदर्शन भी प्रदान किया जा रहा है। इस प्रकार के कैम्प से बच्चों और उनके अभिभावकों में विश्वास और सुरक्षा की भावना भी बढ़ती है।
कुल मिलाकर, यह मेडिकल एसेसमेंट कैंप बच्चों की विशिष्ट आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए उनके समग्र विकास और शिक्षा में सहायक साबित हुआ। आने वाले समय में ऐसे और भी कई कैंप आयोजित किए जाएंगे, ताकि सभी दिव्यांग बच्चे सरकारी योजनाओं और सहायक संसाधनों का लाभ उठा सकें और समाज में पूर्ण सहभागिता सुनिश्चित हो।