नई दिल्ली। देश में कोयले की कमी की वजह से जारी बिजली संकट को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच बयानों के तीर चल रहे हैं। कोयला मंत्रालय ने यह दावा किया है कि कोयाले की कमी के चलत बिजली उत्पादन में जो कमी आई थी उसकी भरपाई कर ला गई है। लेकिन सरकारी वेबसाइट पर दिए आंकड़े अभी भी ये बता रहे हैं कि संकट गंभीर है। कई पॉवर प्लांट्स में एक दिन का भी कोयला रिर्सव नहीं बचा है। रोजाना हो रही कोयले की आपूर्ति से ही इनका काम चल रहा है।
135 में से 116 संयंत्रों में कोयले की कमी
देश में 135 बिजली संयंत्र में से 116 संयंत्र इस समय कोयले की भारी कमी से जूझ रहे हैं। लेकिन सरकार का अब भी यही कहना है कि देश में न ही कोयले की कमी है और न ही कोई बिजली संकट आने वाला है। मंगलवार को कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी ने यह दावा किया था कि कोल लिमिटड इंडिया के पास 22 दिन का स्टॉक है लेकिन ऊर्जा मंत्रालय की Centre electricity authority की और से जारी किए ताजा आंकड़े बताते हैं कि लगभग सभी थर्मल पॉवर प्लांट्स पर बिजली संकट मंडरा रहा है।
केंद्रीय विद्दुयत प्रधिकरण की वेबसाइट पर जारी 11 अक्टूबर तक के आंकड़ों के मुताबिक देश के 15 विद्युत उत्पादन संयंत्रों में एक दिन का भी रिजर्व कोयला नहीं बचा है। इनमें उत्तर प्रदेश और हरियाणा के 3-3 , महाराष्ट्र और पशचिम बंगाल के 2-2 संयंत्र शामिल हैं। राजस्थान, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, झारखंंच के संयंत्र भी इस संकट से जूझ रहे हैं। इन संयंत्रों की उत्पादन क्षमता 15,290 मेगावाट है।
बिजली संकट को लेकर की पीएम से मुलाकात
बिजली मंत्रालय की ओर से जारी किए बयान में कहा गया है कि कोयले की कमी से बिजली उत्पादन में जो कमी आई थी वो 1100 मेगावाट से घटकर 6000 मेगावाट हो गई है। बिजली मंत्रालय का ये बयान पीएम मोदी के साथ बिजला और कोयला मंत्री की मुलाकात के बाद आया है।दोनों मंत्रियों ने मिलकर पीएम को हालात की जानकारी दी औऱ भरोसा जताया कि हफ्ते भर में सामान्य स्थिती बहाल कर दी जाएगी।