नई दिल्ली। अफगानिस्तान अब तालिबान के कब्जे में है। अफगान संकट का असर पूरी दुनिया पर पड़ा है। सभी देश अपने-अपने नागरिकों की वहां से सुरक्षित वापसी के प्रयत्न कर रहे हैं। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन से करीब 45 मिनट तक फोन पर बात की। दोनों राष्ट्राध्यक्षों ने अफगानिस्तान की स्थिति पर विस्तृत बातचीत की है।
ट्वीट कर इस चर्चा की जानकारी दी गई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर इस चर्चा की जानकारी दी है। उन्होंने कहा, ”अफगानिस्तान में हाल के घटनाक्रम पर अपने मित्र राष्ट्रपति पुतिन के साथ विस्तृत और उपयोगी विचारों का आदान-प्रदान किया। हमने द्विपक्षीय एजेंडे के मुद्दों पर भी चर्चा की, जिसमें कोविड-19 के खिलाफ भारत-रूस सहयोग शामिल है। हम महत्वपूर्ण मुद्दों पर करीबी परामर्श जारी रखने पर सहमत हुए।
कुछ देश दे सकते है तालिबान को मान्यता
पूरे विश्व के सामने तालिबान की सरकार को मान्यता देने या नहीं देने जैसा प्रश्न आ खड़ा हुआ है। कई देशों ने इसका खुलकर विरोध किया है। औऱ कुछ देशों ने इसके समर्थन की भी घोषणा की है। तालिबान की चीन और पाकिस्तान के वरिष्ठ मंत्रियों के साथ अलग-अलग बैठक भी हुई है।
रूसी राजदूत ने की थी प्रशंसा
हाल ही में अफगानिस्तान में तैनात रूसी राजदूत दिमित्री झिरनोव ने तालिबान के आचरण की प्रशंसा की थी। उनके दृष्टिकोण को अच्छा सकारात्मक और व्यापार जैसा बताया था। उन्होंने कहा था कि कट्टरपंथी इस्लामी समूह ने पहले 24 घंटों में काबुल को पिछले अधिकारियों की तुलना में अधिक सुरक्षित बना दिया है।
काबुल में स्थिति अशरफ गनी की तुलना में बेहतर है
मॉस्को के एको मोस्किवी रेडियो स्टेशन से बात करते हुए ज़िरनोव ने कहा था, “स्थिति शांतिपूर्ण और अच्छी है और शहर में सब कुछ शांत हो गया है। तालिबान के तहत अब काबुल में स्थिति अशरफ गनी की तुलना में बेहतर है।” वहीं, अफगानिस्तान पर रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के विशेष प्रतिनिधि ज़मीर काबुलोव का कहना था कि काबुल से गनी का भागना शर्मनाक था।