
पलियाकलां (खीरी)। निजी स्कूलों की हर साल बढ़ती फीस और महंगी किताबों ने अभिभावकों की परेशानी बढ़ा दी है। नया शैक्षणिक सत्र शुरू होते ही स्कूलों द्वारा 5 से 10 प्रतिशत तक फीस बढ़ाना आम हो गया है, जबकि कई संस्थान सरकार की गाइडलाइन तक का पालन नहीं करते। एनसीईआरटी के अलावा निजी प्रकाशन की महंगी किताबें हर वर्ष नई खरीदने का दबाव बच्चों और अभिभावकों पर बोझ बढ़ा रहा है।
मार्च और अप्रैल का महीना अभिभावकों पर सबसे भारी पड़ता है। नर्सरी एडमिशन फीस, अप्रैल से लागू होने वाली बढ़ी हुई फीस, महंगे स्कूल बैग, और गर्मी–सर्दी के कम से कम एक दर्जन ड्रेस हर साल खरीदनी पड़ती हैं। सख्त नियमों के अभाव में निजी स्कूलों की मनमानी लगातार बढ़ती जा रही है।
महंगी फीस भरने के बावजूद अभिभावक स्कूल की पढ़ाई को लेकर आश्वस्त नहीं हैं। स्कूल फीस के बाद भी बच्चों को ट्यूशन और कोचिंग सेंटरों की ओर दौड़ना पड़ रहा है। शहर में जगह-जगह खुले कोचिंग सेंटरों में स्कूली छात्र-छात्राओं की भारी भीड़ देखी जा सकती है। ट्यूशन पढ़ाने वालों के यहां भी बच्चों की संख्या लगातार बढ़ रही है। अभिभावक हर वर्ष स्कूल फीस, कोचिंग और ट्यूशन पर लाखों रुपये खर्च कर रहे हैं।
इस बीच प्रशासनिक दावों ने अभिभावकों में उम्मीद जगाई है। अधिकारी का कहना है कि निजी स्कूलों की बढ़ती फीस को नियंत्रित किया जाएगा। यदि कोई स्कूल तीन प्रतिशत से अधिक फीस बढ़ाता है तो उसकी जांच की जाएगी। साथ ही अवैध कोचिंग सेंटरों पर भी कार्रवाई की जाएगी।