सिस्टम के गड्ढों में दफन हुआ जनहित, देवरिया में सड़क हादसे से मचा हड़कंप!

रिपोर्ट-सुनील शर्मा

देवरिया। उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के गड्ढा मुक्त सड़क अभियान की सच्चाई अब दर्दनाक हादसों और मौतों के रूप में सामने आ रही है। पीडब्ल्यूडी की सोनूघाट-बरहज मार्ग पर गड्ढों के कारण लगातार हादसे हो रहे हैं, जिनमें अब जानें जा रही हैं।

सबसे ताज़ा मामला 24 जून 2025 का है, जब इस बदहाल सड़क पर रोडवेज एआरएम के बेटे इन्द्रेश कुमार पाटिल (33) की दर्दनाक मौत हो गई। इंद्रेश अपने दोस्त की बाइक से बरहज से लौट रहे थे कि तभी बरौनी चौराहे के पास गड्ढों में डगमगाती ट्रक से निकला पत्थर बाइक के नीचे आ गया और बाइक असंतुलित होकर पलट गई। इंद्रेश की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि बाइक चला रहा अमर घायल हो गया।

इस हादसे ने जिलेभर में आक्रोश और चर्चा को जन्म दे दिया है। लोग अब इस सड़क से गुजरने से डरने लगे हैं और बेलडार जैसे वैकल्पिक मार्गों से यात्रा करने को मजबूर हैं।

गड्ढा मुक्त सिर्फ कागजों पर!

राज्य सरकार ने 2017 में सत्ता में आने के तुरंत बाद सभी सड़कों को गड्ढा मुक्त करने का आदेश जारी किया था। लेकिन हकीकत में यह योजना भ्रष्टाचार मुक्त नहीं हो सकी। जिला पीडब्ल्यूडी विभाग ने कई बार पेंचिंग (गड्ढा भराई) के नाम पर लाखों रुपये खर्च किए, लेकिन सड़क की हालत जस की तस बनी रही।

अधिकारियों की चुप्पी = भ्रष्टाचार की पुष्टि?

अवर अभियंता (जेई) ने माना कि पटखौली से गरेड तक 5 किलोमीटर तक पेइचिंग कार्य हुआ है, लेकिन लागत की जानकारी नहीं दी।

सहायक अभियंता क्षितिश जायसवाल ने “गड्ढा मुक्त एक सतत प्रक्रिया है” कहकर सभी सवालों पर चुप्पी साध ली।

अधिशासी अभियंता अनिल कुमार जाटव ने बताया कि इस मार्ग का फोर लेन प्रस्ताव शासन को भेजा गया है, लेकिन पेंचिंग और खर्च के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है।

सवाल खड़े होते हैं:

आखिर कितने बार गड्ढा भरने का कार्य किया गया?

कितना धन खर्च हुआ?

फिर भी सड़क जर्जर क्यों है?

और जब जानें जा रही हैं, तो जिम्मेदारी कौन लेगा?

पीडब्ल्यूडी की सड़कों पर मौतें बन गईं आम खबर

अब यह बात साफ हो गई है कि गड्ढा मुक्ति सिर्फ सरकारी फाइलों तक सीमित है। जमीन पर न सिर्फ गड्ढे जिंदा हैं, बल्कि उन्हीं में जनता की जान और सरकार की विश्वसनीयता भी दफन हो रही है।