
गोरखपुर, 16 अक्टूबर रामकृष्ण विवेकानंद मिशन, गोरखपुर के स्वर्ण जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में एक भव्य भजन संध्या का आयोजन किया गया, जिसमें सुप्रसिद्ध भजन सम्राट अनूप जलोटा ने अपनी मधुर आवाज़ से भक्तिमय वातावरण तैयार कर दिया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन से हुआ, जिसके बाद मंच का संचालन मिशन के उपाध्यक्ष अरविंद विक्रम ने किया। उन्होंने स्वागत उद्बोधन देते हुए मिशन की गतिविधियों और सामाजिक योगदान पर विस्तार से प्रकाश डाला।
कार्यक्रम में शिवकुमार बिलगरामी ने रामकृष्ण विवेकानंद मिशन के ऐतिहासिक योगदान और उद्देश्य पर जानकारी दी, वहीं अचिन्त लहरी ने स्वामी विवेकानंद के विचारों के प्रसार के महत्त्व पर चर्चा की।
मिशन के महासचिव स्वामी नित्यरूपानंद महाराज ने कहा कि “स्वामी विवेकानंद की विचारधारा केवल अध्यात्म तक सीमित नहीं, बल्कि यह समाज में जागरूकता, शिक्षा और सेवा का सशक्त माध्यम है।” उन्होंने यह भी कहा कि गोरखपुर केंद्र का उद्देश्य समाज में नैतिकता, शिक्षा और आत्मबल का प्रसार करना है।
कार्यक्रम में रामकृष्ण विवेकानंद मिशन के बच्चों ने अपनी शानदार प्रस्तुतियों से दर्शकों का मन मोह लिया। इनमें ‘ऐ गिरि नंदिनी’ और ‘राम आएंगे’ जैसे गीतों ने भक्ति का माहौल बना दिया। इसके साथ ही गोरखपुर पब्लिक स्कूल के विद्यार्थियों ने छठ पूजा नृत्य और छाप तिलक सब छीनी रे जैसे लोक-सांस्कृतिक नृत्यों से सबका दिल जीत लिया।
इसके पश्चात जनपद के वरिष्ठ अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों और विद्वतजनों को सम्मानित किया गया। सम्मान पाने वालों में विधायक विपिन सिंह, विधायक श्रीराम चौहान, महिला आयोग की अध्यक्ष श्रीमती चारू चौधरी, एडीजी अशोक मुथाजैन, डीआईजी एस. चिनप्पा, कमिश्नर अनिल डिंगरा, एसएसपी राजकरण नैयर, डीएम दीपक मीना, समाजसेवी अतुल सर्राफ और ब्रिगेडियर एम.एस. पेंस सहित कई प्रतिष्ठित हस्तियाँ शामिल थीं।
इसके बाद जब मंच पर भजन सम्राट अनूप जलोटा आए तो पूरा वातावरण भक्तिरस में डूब गया। उन्होंने अपने प्रसिद्ध भजनों — “ऐसी लागी लगन,” “प्रभु जी तुम चंदन हम पानी,” “मैय्या मोरी मैं नहीं माखन खायो,” “वो काला एक बांसुरी वाला” और “जग में सुंदर है दो नाम” — की प्रस्तुति देकर दर्शकों को भावविभोर कर दिया। उनके साथ सहगायिका संजना ठाकुर ने अपनी सुरीली आवाज़ से संगीत को और मधुर बना दिया।
तबला पर अमित चौबे, गिटार पर हिमांशु तिवारी और वायलिन पर राशिद खान ने अद्भुत संगत की, जिससे पूरी शाम एक अविस्मरणीय भक्ति महोत्सव में बदल गई।
यह आयोजन न केवल मिशन के स्वर्णिम इतिहास का उत्सव था, बल्कि स्वामी विवेकानंद के आदर्शों — “सेवा, समर्पण और सद्भाव” — का भी सशक्त संदेश देने वाला रहा।