रामलीला मैदान में दफनाया गया शव, प्रशासन ने कब्रिस्तान में कराई दोबारा दफन प्रक्रिया, भू-माफिया पर उठा सवाल

भू-माफिया पर उठा सवाल

हरदोई, पिहानी। रामलीला मैदान के रावण दहन स्थल पर शनिवार को कब्र खोदकर शव दफनाने की घटना से क्षेत्र में हड़कंप मच गया। इस विवाद का निस्तारण एसडीएम, सीओ और कोतवाल की निगरानी में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच कराया गया।

रामलीला कमेटी के अभिषेक वैश्य रिशु, बालकृष्ण गुप्ता सहित भाजपा नगर महामंत्री नीरज सिंह, अध्यक्ष गौरव गुप्ता, वरिष्ठ कार्यकर्ता विमलेश तिवारी व विनय गुप्ता आदि ने लिखित तहरीर देकर कार्रवाई की मांग की थी।

सूचना पर तुरंत कोतवाली पिहानी पहुंचीं एसडीएम शाहाबाद तान्या सिंह, सीओ हरियावा अजीत चौहान, अधिशासी अधिकारी अमित कुमार सिंह, कोतवाल विद्यासागर पाल, नायब तहसीलदार संतोष कुशवाहा, सदर लेखपाल आशीष कुमार व कानूनगो संजय मिश्रा ने मौके पर निरीक्षण किया। जांच के बाद शव को रामलीला मैदान से हटवाकर कब्रिस्तान में दफनाया गया।

भू-माफिया की भूमिका संदिग्ध
निरीक्षण के दौरान पता चला कि विवादित भूमि गाटा संख्या 663 पर कुछ लोगों ने अवैध निर्माण कर लिया है और कुछ लोग इसे कब्रिस्तान के रूप में कब्जा करना चाह रहे हैं। दबी जुबान में स्थानीय लोगों ने बताया कि इस पूरे प्रकरण के पीछे एक भू-माफिया की भूमिका है, जिसने नगर पालिका की जमीन पर पक्की इमारत खड़ी कर रखी है।

प्रशासन द्वारा कार्रवाई के नाम पर सिर्फ नोटिस थमा दिए जाते हैं। बुलडोजर चलाकर इमारत गिराने की बातें की जाती हैं, पर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

भूमि संरक्षित करने के आदेश, पिलर और कटीले तार लगाए गए
एसडीएम तान्या सिंह ने अधिशासी अधिकारी को अवैध कब्जेदारों को बेदखल करने और खाली भूमि को संरक्षित करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि जो भी अवैध पक्के निर्माण हैं उन्हें शीघ्र ध्वस्त किया जाएगा और शेष भूमि पर पिलर व कटीले तार लगाकर नगर पालिका परिषद द्वारा सुरक्षा की जाएगी।

इस घटनाक्रम के बाद प्रशासन की सख्ती और भू-माफिया की संदिग्ध गतिविधियों पर लोगों की निगाहें टिक गई हैं।