इंद्रास्त्र और ब्रह्मदंड अस्त्र से प्रभु श्री राम ने किया कुंभकरण का वध

जसवंतनगर/इटावा। अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त मैदानी रामलीला में बुधवार को नगर की सड़कों पर राम और रावण की सेनाओं के बीच भव्य युद्ध का मंचन किया गया। रामलीला मैदान में रावण का सर्वाधिक बलशाली भाई कुंभकरण, जो छह महीने सोने और छह महीने जागने वाला था, राम के साथ युद्ध करते हुए मारा गया।

दोपहर 1 बजे दशानन सैन्य छावनी से कुंभकरण और मेघनाथ सहित रावण की सेना अस्त्र-शस्त्रों के साथ युद्ध के लिए निकली। इसके बाद सड़कों से लेकर रामलीला मैदान तक कई घंटे तक युद्ध का प्रदर्शन हुआ। युद्ध के दौरान कुंभकरण बाजार के कई प्रतिष्ठानों में घुसकर हाहाकार मचाता रहा और राक्षसी प्रवृत्ति का प्रदर्शन किया। इसके बाद उसने अपनी सेना के साथ माता केला त्रिगमा देवी मंदिर में हवन पूजन किया और फिर कटरा पुख्ता स्थित भगवान नरसिंह मंदिर पहुंचकर राम लक्ष्मण को युद्ध के लिए चुनौती दी।

राम और कुंभकरण के बीच युद्ध के बाद, प्रभु श्री राम ने इंद्रास्त्र और ब्रह्मदंड अस्त्र का प्रयोग कर कुंभकरण का वध किया। इसके साथ ही रावण के सेनापति दुर्मुख का वध भी रामलीला मैदान में दर्शकों के सामने किया गया। युद्ध लीला के दौरान कुंभकरण की भूमिका क्रमशः शुभ गुप्ता और अलौकिक गौर ने बखूबी निभाई।

रामलीला मैदान में खचाखच भीड़ भरी हुई थी, जिसमें दशकों में सबसे अधिक संख्या महिलाओं की थी। युद्ध लीला रात्रि लगभग 8 बजे तक चली। मंगलवार को भारी बारिश के कारण कुछ कार्यक्रम स्थगित किए गए थे, जिसके चलते बुधवार को लीलाओं के संचालन में कुछ परिवर्तन किए गए। महानवमी के अवसर पर नगर में शंखवार समाज की ओर से परंपरागत जवारे निकाले गए, जिनके साथ राम लक्ष्मण का विमान चौराहे को पार कर रामलीला मैदान की ओर बढ़ा।

इस भव्य युद्ध लीला ने दर्शकों को रोमांचित कर दिया और नगरवासियों में धार्मिक उत्साह और उत्सव की उमंग बढ़ा दी।