बांदा। जिले में केन, यमुना, बागै आदि नदियों में लगभग दो दर्जन खदानों के पट्टे हैं। अधिकांश बड़ी खदानों के पट्टे बाहरी कंपनियों और रसूख वालों ने हथिया रखे हैं। ई-टेंडर से इन्हें पांच वर्ष के लिए खदानें आवंटित की गई हैं। पट्टे की शर्त में बालू खनन की सालाना मात्रा शामिल रहती है, लेकिन पट्टाधारकों ने गाइडलाइन और एनजीटी तथा कोर्ट आदि के आदेशों और नियमों को दरकिनार कर भारी भरकम मशीनों से रात-दिन खनन की होड़ लगा दी। नतीजे में जो बालू पांच सालों में निकाली जानी थी, वह सालभर में ही खत्म हो गई। अब खदानें खोखली हो जाने पर निर्धारित रॉयल्टी की नियमित अदायगी पट्टाधारकों के लिए घाटे का सौदा साबित हो रही है। कई पट्टाधारक अपनी खदानें सरेंडर की फिराक में हैं। वह रॉयल्टी भी नहीं जमा कर रहे।
14 करोड़ की बकायेदार दो कंपनियों को डीएम आनंद कुमार सिंह ने ब्लैक लिस्ट कर दिया है। उनके पते पर नोटिस भेजी गई है। जिला खनिज अधिकारी सुभाष सिंह ने बताया कि खप्टिहा कलां की खदान गाटा-356 (खंड-एक) की पट्टाधारक कंपनी नव अर्सी ट्रेडर्स प्राइवेट लिमिटेड ने पिछले अक्तूबर से अपनी किस्त जमा नहीं की। नोटिस भी जारी किया गया। अब डीएम ने 30 जनवरी को खदान को ब्लैक लिस्ट करते हुए 4 करोड़ 50 लाख की आरसी जारी की है। इसी तरह खप्टिहा कलां की एक अन्य खदान खंड-2 का पट्टा साईं चरन इंफ्रा हाई प्राइवेट लिमिटेड ने ले रखा है, लेकिन पिछले चार माह से किस्त जमा नहीं की है। डीएम ने इस कंपनी को भी ब्लैक लिस्ट करते हुए इस पर बकाया 9 करोड़ 50 लाख रुपये की आरसी जारी कर दी है।