
लखनऊ,भारतीय शास्त्रीय संगीत के वरिष्ठ एवं प्रख्यात पखावज वादक डॉ. राज खुशीराम का बुधवार शाम करीब सात बजे निधन हो गया। वे लगभग 72 वर्ष के थे। सांस लेने में तकलीफ होने पर उन्हें मेडिकल कॉलेज दिखाया गया था, इसके बाद वे गोमतीनगर स्थित अपने आवास लौट आए, लेकिन तबीयत में सुधार न होने पर उनका देहांत हो गया।
डॉ. राज खुशीराम अयोध्या घराने के महान पखावज आचार्य स्वामी पागल दास के शिष्य थे। वे लखनऊ घराने के सुप्रसिद्ध कथक गुरु पंडित लच्छू महाराज की पटशिष्या, विख्यात कथक नृत्यांगना कपिला राज के पति थे। वे भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय में पखावज के अतिथि शिक्षक के रूप में भी सेवाएं दे रहे थे।
उनके निधन पर कला एवं संगीत जगत में शोक की लहर दौड़ गई।
रंगमंच व फिल्म अभिनेता डॉ. अनिल रस्तोगी ने कहा, “राजू के निधन से बेहद आहत हूं। वे एक महान आत्मा, सरल स्वभाव और सच्चे सज्जन थे। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे।”
रंगकर्मी गोपाल सिन्हा ने कहा, “हमेशा मुस्कराता चेहरा, जितने उत्कृष्ट पखावज वादक थे, उतने ही सहज और सरल व्यक्तित्व के धनी थे।”
वरिष्ठ कला समीक्षक राजवीर रतन ने उन्हें याद करते हुए कहा, “वे तीन दशकों से हमारे मित्र थे और मेरे बच्चों के संरक्षक भी रहे।”
इंटरनेशनल ध्रुवपद धाम ट्रस्ट, जयपुर की ओर से प्रो. डॉ. मधु भट्ट तैलंग ने कहा, “उन्होंने जीवन भर ईश्वर की आराधना और संगीत साधना की। उनका वादन सदैव अविस्मरणीय रहेगा।”
भारतीय शास्त्रीय संगीत में अतुलनीय योगदान के लिए उन्हें कई सम्मान मिले, जिनमें वाराणसी के अंतरराष्ट्रीय ध्रुपद मेला (स्वर्ण जयंती वर्ष) में मिला लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड प्रमुख है। उनका अंतिम संस्कार 18 दिसंबर को पूर्वाह्न 11 बजे बैकुंठ धाम, भैंसाकुंड में किया जाएगा।